अतिथि विद्वानों का काफिला BHOPAL के करीब पहुँचा

भोपाल। प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि विद्वान अपने नियमितीकरण की लंबे समय से मांग करते आये हैं। कांग्रेस पार्टी द्वारा दिये गए वचन पत्र की कंडिका 17.22 के अनुसार सरकार ने अतिथि विद्वानों को नीति बनाकर नियमित करने का वचन दिया था। अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजकद्वय *डॉ देवराज सिंह* और *डॉ सुरजीत सिंह भदौरिया* का आरोप है कि नई सरकार गठन के 10 माह बीत जाने के बाद भी सरकार ने अतिथि विद्वानों की कोई सुध नही ली है। बल्कि प्रदेश ही नही बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर व्यापम 2 के रूप में कुख्यात हो चुकी सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने वालों को संदिग्ध दस्तावेजों की गहन जांच के बिना ही नियुक्ति देने को जल्दी में है। इससे सारे अतिथि विद्वान समुदाय में भारी रोष व्याप्त है।

4 अक्टूबर से न्याय यात्रा जारी है

नियमितीकरण प्रक्रिया और वचन पत्र को समय से पूरा नही कियी जाने के विरोध में अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा विगत 4 अक्टूबर से वचनपत्र स्मरण कराने के उद्देश्य से न्याय यात्रा निकाल रहा है। अतिथि विद्वानों के भारी जनसैलाब के साथ न्याय यात्रा लगातार जारी है। यात्रा इंदौर से प्रारंभ होकर देवास नाका, देवास, सोनकच्छ, आष्टा, अमलाहा होते हुए कल 9 अक्टूबर को सीहोर पहुची है, जहां पर अतिथि विद्वानों ने रात्रि विश्राम के पश्चात पुनः आगे का रुख किया है। अगला पड़ाव खजूरी फंदा है। तत्पश्चात यात्रा बैरागढ़ की ओर बढ़ जाएगी। 12 अक्टूबर को अतिथि विद्वान बड़ी संख्या में राजधानी भोपाल में प्रवेश करेंगे, जहां पर नीलम पार्क में अतिथि विद्वानों की विशाल सभा का आयोजन किया गया है।

लगभग 5000 अतिथि विद्वान डालेंगे राजधानी में डेरा

अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता *डॉ मंसूर अली* ने कहा है कि अपनी मांगों को लेकर पूरे प्रदेश भर के लगभग 5000 अतिथि विद्वान राजधानी की ओर कूच कर रहे हैं। जहां पर वे कमलनाथ सरकार से वचन पत्र कंडिका 17.22 व नियमितीकरण की मांग को जल्द पूरा करने की गुहार लगाएंगे।

बढ़ता जा रहा है अतिथि विद्वानों में असंतोष

अतिथि विद्वान संघर्ष मोर्चा के *डॉ जेपीएस चौहान* एवं *डॉ आशीष पांडेय* ने कहा है कि वचनपत्र और नियमितीकरण के प्रति सरकार की उदासीनता से अतिथि विद्वानों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। लगभग हर सरकार का द्वार खटखटाने वाले अतिथि विद्वान पिछले 2 दशक से अपनी नियमितीकरण के नीति बनाने के लिए गुहार लगा रहे हैं, किन्तु आजतक उन्हें आश्वासनों के अलावा कुछ नही मिला है। इस बार अतिथि विद्वान संगठित रूप से आर पार की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं

महिल अतिथि विद्वान साथी डटी मोर्चे पर

उल्लेखनीय है कि कार्यरत अतिथि विद्वानों में लगभग 50% महिला साथी कार्य कर रही है। सरकार से न्याय यात्रा के माध्यम से वे भी न्याय की गुहार लगा रही है। पिछली सरकार के विरोध स्वरूप महिला अतिथि विद्वान ने अपना मुंडन तक करा दिया था। इस बार बड़ी संख्या में महिला साथी इस मुहिम में साथ है।

वरिष्ठ अतिथि विद्वान संभाल रहे है प्रबंधन

न्याय यात्रा के प्रत्येक चरण में युवा और वरिष्ठ अतिथि विद्वान शानदार सामंजस्य से भोपाल की ओर आगे बढ़ रहे हैं। यात्रा का प्रबंधन संभाल रहे अतिथि विद्वानों में डॉ अजब सिंह राजपूत, डॉ अमिताभ मिश्रा, डॉ यश कुमार सिंह, डॉ राहुलदेव अवस्थी, डॉ अमित द्विवेदी, डॉ विकास जैन, डॉ चंद्रमणि मिश्र ,डॉ राजेन्द्र पटेल, डॉ नंदलाल डेहरिया, डॉ सी बी चंदेल, डॉ विकास मिश्रा, डॉ विजय राजौरिया, डॉ राजू रैदास, डॉ सुनीता सोलंकी, डॉ मनीषा पांडेय शामिल है। जबकि यात्रा के सीहोर पहुंचने पर स्थानीय स्तर पर यात्रा के शामिल सभी अतिथि विद्वान साथियों के रात्रि विश्राम एवं भोजन की व्यवस्था स्थानीय साथी डॉ रामकरण अहिरवार, डॉ गोविंद राठौर, डॉ संजय पांडे तथा डॉ राजकुमार राय ने की।

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