BDA की मिसरोद फेज-2 फेल, फेज-1 भ्रष्टाचार की सड़क के कारण अटक गया

Bhopal Samachar
भोपाल। भोपाल विकास प्राधिकरण (बीडीए) की मिसरोद फेज-2 योजना जो लगभग 220 एकड़ में फैली है, फेल हो गई है। BDA के भाग्यविधिाताओं ने इस पर 150 करोड़ रुपए फूंक दिए लेकिन 900 में से लगभग आधे प्लॉट भी नहीं बचे पाए। फेज-1 का हाल भी ऐसा ही कुछ है। यहां भ्रष्टाचार की सड़क डाली गई और प्रोजेक्ट की लागत 140 से बढ़कर 230 करोड़ हो गई। नतीजा प्लॉट महंगे हो गए। 

4 साल पहले 495 प्लॉट बिके थे, अब तो विज्ञापन भी जारी नहीं करते

बीडीए ने करीब चार साल पहले यहां जो 495 प्लाॅट बेचे उनकी कीमत 1550 रुपए वर्ग फुट थी। अब 2320 की दर बताई जा रही है जबकि निजी जमीन मालिक किसान इसी योजना में कलेक्टर गाइडलाइन की दर यानी 2045 रुपए प्रति वर्ग फुट की दर से प्लाॅट बेच रहे हैं। एक ही स्थान पर एक जैसी सुविधाओं के बीच प्लाॅट के दो रेट होने का नतीजा है कि ग्राहक बीडीए की बजाय किसानों से प्लाॅट लेना पसंद कर रहे हैं। बीडीए ने आखिरकार इनकी बिक्री के लिए विज्ञापन जारी करना बंद कर दिया।

बिके हुए 495 प्लॉट से 150 करोड़ की वसूली होगी

बीडीए के प्राॅपर्टी बिक्री के नियमों के अनुसार बीडीए डेवलपमेंट चार्ज और अपने अन्य खर्चे जोड़ कर रेट तय करता है। कॉलोनी डेवलपमेंट पर बीडीए ने ही खर्च किया है इसलिए उसका भार बीडीए के हिस्से में आए 495 प्लाॅट पर ही पड़ेगा।

बीडीए कंगाल: कर्मचारियों को वेतन देने पैसा नहीं

बड़ी-बड़ी योजनाओं में हो रहे नुकसान का असर बीडीए की माली हालत पर पड़ रहा है। अब यहां कर्मचारियों के वेतन के लिए भी लाले पड़ रहे हैं। पिछले महीने यहां 14 अगस्त को वेतन बंटा। इस बार भी अब तक वेतन नहीं मिला है।

मिसरोद फेज-1: भ्रष्टाचार की सड़क बनी तो रेट 1850 से 2300 हो गए

इसी क्षेत्र की दूसरी योजना यानी मिसरोद फेज-1 में बीडीए अब तक 80 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है। बीडीए ने यहां डामरीकृत सड़कों के हिसाब से कुल 140 करोड़ रुपए लागत के हिसाब से 1850 रुपए प्रति वर्ग फीट दर तय की थी। बाद में यहां सीमेंट-कांक्रीट की सड़कें बना दी गईं और लागत बढ़ कर 230 करोड़ हो गई। नतीजा प्लाॅट का रेट 2300 रुपए वर्ग फुट हो गया। मार्च 2018 में बोर्ड ने पहले इस वृद्धि को मंजूर कर दिया लेकिन सितंबर 2018 में इसे निरस्त कर दिया। तब से अब तक एक साल हो गया लेकिन इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है। बता दें कि यहां सीमेंट-कांक्रीट की सड़क अनिवार्य नहीं थी, पुराना अनुभव कहता था कि डामर की रोड बनाकर प्लॉट बेच दिए जाएं परंतु ऐसा नहीं किया गया। 

बीडीए में बिल्डर्स घुस गए हैं, संस्थान बर्बाद हो गई

बीडीए का गठन इसलिए किया गया था कि वह निजी बिल्डर के मार्केट को कंट्रोल करेगा।  शुरुआती वर्षों में बीडीए ने अपने प्रोजेक्ट इसी हिसाब से बनाए थे। इसके अलावा बीडीए को अपने लाभ की राशि से मास्टर प्लान के हिसाब से डेवलपमेंट करना था। लेकिन धीरे-धीरे बीडीए के सिस्टम में निजी बिल्डर और उनसे जुड़े लोग घुस गए। नतीजा यह हुआ कि बीडीए की प्रापर्टी महंगी होती चली गई।  
- देवीसरन, पूर्व सीईओ, बीडीए

हम, मिसरोद फेज-1 और फेज-2 दोनों ही योजनाओं में दोबारा रेट तय कर रहे हैं। नए रेट में प्रापर्टी गाइडलाइन में की गई 20 फीसदी की कटौती का भी ध्यान रखा जाएगा।  
अंजु पवन भदौरिया, सीईओ, बीडीए
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