कश्मीर में निडर होकर सड़कों पर निकले लोग (VIDEO), ऐतिहासिक होगा ईद का जश्न

श्रीनगर/जम्मू। जम्मू-कश्मीर में जिंदगी तेजी से पटरी पर लौट रही है। जम्मू जहां पूरी तरह सामान्य हो रहा है। पुलिस अधिकारी Imtiyaz Hussain ने वीडियो साझा कर बताया है कि लोग आम रास्तों पर निडर होकर निकल रहे हैं। इतना ही नहीं घाटी में लोग ईद की तैयारी में जुट गए हैं। माना जा रहा है कि इस बार ईद का जश्न ऐतिहासिक होगा। 

कश्मीर की गलियों और बाजारों में पसरा सन्नाटा गायब हो रहा है। सड़कों पर सुरक्षाबल घट रहे हैं। दुकानें खुल रही हैं, जो बता रही हैं कि ईद से पहले सब कुछ सामान्य हो जाएगा। हालांकि प्रशासन ने हालात को देखते हुए निषेधाज्ञा जारी रखी है। मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं भी बंद हैं।

दुकान खोलने से किसी ने नहीं रोका

बटमालू के दुकानदार मोहम्मद युसुफ ने बताया, पुलिस लोगों की आवाजाही नहीं रोक रही है। मैंने पिछले शनिवार को अपनी दुकान बंद की थी और आज खोली। मुझे किसी ने नहीं रोका। उनकी मांग है कि सरकार को जल्द टेलीफोन और इंटरनेट शुरू करना चाहिए।

जानवर मंडी में कुर्बानी के लिए जानवर खरीदने आए मुख्तार अहमद ने कहा कि दुआ करो इस ईद के बाद लोग कश्मीर के मुरीद हो जाएं। यहां सभी को सामान्य जिंदगी चाहिए। सरकार को शरारती तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

जम्मू में स्कूल-कॉलेज खुलने से लौटी रौनक

जम्मू शहर में सोमवार से बंद स्कूल और कॉलेज शनिवार को खुल गए। पांच दिन बाद स्कूल और कॉलेज तो खुले लेकिन हाजिरी कम रही। लेकिन इससे शहर में रौनक लौट आई। बता दें कि जम्मू शहर में धारा 144 लगाए जाने के बाद सोमवार से ही स्कूल, कॉलेज और अन्य शिक्षण संस्थानों को बंद थे।

चार दिन बाद खुला कारगिल

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने और लद्दाख को केंद्र शासित राज्य बनाने के विरोध में चार दिन से बंद कारगिल शनिवार को खुल गया। ईद को देखते हुए कारगिल को खोला गया है। कारगिल में शुक्रवार को राज्य के गृह विभाग में प्रमुख सचिव शालीन काबरा ने भाजपा को छोड़ सभी राजनीतिक दलों की ज्वाइंट एक्शन कमेटी के नेताओं से मुलाकात की थी।

इन नेताओं का कहना था कि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला कारगिल को मंजूर नही है। हम न जम्मू कश्मीर का विभाजन चाहते थे और न ही हमें केंद्र शासित प्रदेश ही चाहिए था। उन्होंने कहा कि हम केंद्र शासित राज्य के दर्जे को तभी स्वीकार करेंगे जब हमारी संस्कृति, रोजगार और भूमि के अधिकार के सरंक्षण का विश्वास दिलाया जाए।

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