भोपाल। एक ट्वीट पर टॉयलेट साफ करवाने वाली भारतीय रेल के लिए यह शर्मसार करने वाली खबर है। मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित बीना जंक्शन पर एक यात्री तड़प-तड़पकर मर गया। उसकी पत्नी ने गंजबासौदा में ही टीटीई को मेडीकल इमरजेंसी की सूचना दे दी थी फिर भी बीना में ना डॉक्टर आया ना एंबुलेंस। अब अधिकारी बहानेबाजी करके अपनी नौकरियां बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के नादौर थाना क्षेत्र के ग्राम मंदियल निवासी ब्रजेंद्र पिता अशोक कुमार (37) अपनी पत्नी इंदुबाला (32), बेटी श्रेया (3) और साले रविकुमार के साथ स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस के एस-9 कोच में यात्रा कर रहे थे। साले रविकुमार के मुताबिक ब्रजेंद्र आंध्रप्रदेश के राजमुंदरी में एक निजी कंपनी में कार्यरत थे। एक अगस्त से बीमार होने के कारण वे अवकाश पर घर जा रहे थे। इस ट्रेन से दिल्ली जाकर वहां से दूसरे साधन से उन्हें हिमाचल जाना था।
टीटीई ने बताया था कि डॉक्टर मिलेगा, बीना में कोई नहीं था
शनिवार की सुबह गंजबासौदा स्टेशन पार करने के बाद उनकी हालत बिगड़ी तो, इंदुबाला और उन्होंने टीटीई से मदद मांगी। टीटीई ने बीना स्टेशन पर मैसेज देकर डॉक्टर को प्लेटफार्म पर पहुंचाने को कहा। दोपहर 12.15 बजे बीना स्टेशन आते ही उन लोगों ने ब्रजेंद्र को उतार लिया। वे वहीं मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। इंदुबाला वहीं पर ब्रजेंद्र की सांसें कायम रखने के लिए प्रयास करती रहीं। 12.50 बजे स्ट्रेचर मिलने पर ब्रजेंद्र को स्टेशन के बाहर लाया गया, जहां रेलवे के डॉक्टर ने जांच कर मृत घोषित कर दिया। सिविल अस्पताल में ब्रजेंद्र का पीएम किया गया।
हमें किसी ने सूचना ही नहीं दी थी: डिप्टी एसएस, बीना
यात्री या टीसी ने पहले से हमें सूचना नहीं दी। तबीयत बिगड़ने पर परिजन ने यात्री को ट्रेन से उतार लिया था। वे लोग प्लेटफॉर्म पर दूसरे लोगों से डॉक्टर को बुलाने का कहते रहे। किसी रेलकर्मी ने मृतक के साले से कहा कि तुम डिप्टी एसएस ऑफिस जाकर सूचना दो। जब उसने आकर सूचना दी, तब मैं खुद सीटीआई एसएस पॉल के साथ मौके पर पहुंचा था। कुली बुलाकर स्ट्रेचर से मरीज को बाहर लाया गया। डॉक्टर ने जांच कर उसे मृत घोषित कर दिया। पहले से सूचना मिल जाती तो यात्री की जान बच सकती थी।
आरपी लाल, डिप्टी एसएस, बीना