प्रवेश सिंह भदौरिया। मध्यप्रदेश कांग्रेस को नया अध्यक्ष जल्दी ही मिलेगा लेकिन वो कौन होगा ये अभी तक तय नहीं है। अलग-अलग खेमों में बंटी हुई मध्यप्रदेश कांग्रेस फिलहाल पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के विरोध में एकजुट सी दिख रही है। दिग्विजय, अरुण यादव और कमलनाथ खेमा लगातार अपनी चालें चलता दिख रहा है। शह और मात से पहले का रोमांच अपने चरम पर है।
पहली बार कोई चुनाव हारने वाले सिंधिया फिर नहीं हारना चाहते इसलिए प्रथम दृष्टया लग रहा है कि भाजपा में उनके जाने की खबर जानबूझकर उन्हीं के द्वारा फैलाई गयी ताकि शीर्ष नेतृत्व पर दबाव डाला जा सके।किंतु वे भूल रहे हैं कि उनका शीत युद्ध भारत की राजनीति के मजबूत व शतरंज के मंझे हुए नेताओं से है।कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों जानते हैं कि 15 वर्ष बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस से यदि सिंधिया चले भी जाते हैं तो वे उनके समर्थक विधायकों को अपने पाले में अवश्य कर लेंगे।
ऐसा खेल मध्यप्रदेश में पूर्व में भी खेला जा चुका है हालांकि तब उमा भारती थीं जिन्हें ये भ्रम था कि उनके मंत्री और विधायक उनके साथ रहेंगे लेकिन जो हुआ वो सबको पता है।अब देखना ये है कि देश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मध्यप्रदेश में सिंहासन का खेल किस हद तक जाता है।