प्रति श्री कमलनाथ जी, मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश शासन। माननीय महोदय, वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत 2003 से केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को वन्य प्राणियों के संरक्षण हेतु वन्य प्राणी बोर्ड गठित करना अनिवार्य किया गया। वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 6 के तहत केंद्र सरकार ने विधिवत नियम बनाकर 2003 में नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड का गठन किया किंतु मप्र सरकार ने 2003 में वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 64 के तहत आवश्यक नियमों को न बनाते हुए मप्र राज्य वन्य प्राणी बोर्ड का गठन किया जो अवैधानिक है।
वन्य प्राणियों के सबसे बड़े संरक्षक वनवासियों के हितों के खिलाफ भी है
मैंने पूर्व सरकार के समक्ष कई मर्तबा इस गंभीर कानूनी त्रुटि पर कार्यवाही का अनुरोध किया किंतु आज तक राज्य सरकार ने इस गंभीर त्रुटि को नही सुधारा। आपकी सरकार ने हाल में ही 3 अगस्त 2019 को आवश्यक नियमों के अभाव में ही मप्र राज्य वन्य प्राणी बोर्ड का पुनर्गठन किया जो न केवल अवैधानिक है बल्कि वन और वन्य प्राणियों के सबसे बड़े संरक्षक वनवासियों के हितों के खिलाफ भी है।
दुर्भाग्य से आपकी सरकार ने वनवासियों के साथ भेदभाव करते हुए इस पुनर्गठित बोर्ड में गैर सरकारी सदस्यों में अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को आपकी सरकार ने शामिल नही किया।
2 आदिवासी सदस्य नियुक्त क्यों नहीं किए
वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 6 (1)(E)के तहत राज्य वन्य प्राणी बोर्ड में 10 गैर सरकारी प्रख्यात लोगों को जो वन्य प्राणी संरक्षण में कार्यरत हो को राज्य सरकार नामांकित करती है। अधिनियम के अनुसार इनमें से न्यूनतम 2 सदस्य अनुसूचित जनजाति के होने चाहिए। 10 गैर सरकारी सदस्यों में आदिवासी समुदाय के सदस्यों का ना होना आपकी पार्टी कांग्रेस के आदिवासी समाज के प्रति असंवेदनशीलता उजागर करता है।
2 ST विधायक की नियुक्ति से मुक्ति नहीं मिलेगी
आपकी सरकार ने कानून के अनुसार राज्य वन्य प्राणी बोर्ड में आवश्यक 3 विधायको में से 2 ST विधायकों को सदस्य बनाकर जो औपचारिकता पूरी की है वो 10 गैर सरकारी सदस्यों में न्यूनतम 2 ST आदिवासी समाज के सदस्यों की अनिवार्यता से मुक्ति नही दिलवाती है। पूर्व में भी राज्य सरकार के वन विभाग ने मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) पत्र लिखकर 2 ST गैर सरकारी सदस्यों की नियुक्ति पर कानूनी प्रक्रिया का स्पष्ट जिक्र किया था।
अयोग्य को नियुक्त कर दिया
आपको यहाँ यह बताना भी जरूरी है कि आपकी सरकार ने पुनर्गठित राज्य वन्य प्राणी बोर्ड में 2 सदस्यों को केवल वन्य प्राणी में "रुचि" के कारण सदस्यों बनाया है जो कानून के अनुसार अनुचित है क्योकि कानून के अनुसार सदस्य को वन्य प्राणी संरक्षण में प्रख्यात होना चाहिए।
अत्याचारी को सत्ता सौंप दी
आपकी सरकार ने एक ऐसे सदस्य को बोर्ड में नामांकित किया है जिनके परिवारजन पर बान्धवगढ़ टाइगर रिज़र्व के निकट आदिवासी समाज की जमीन पर अवैध कब्जा कर रिसोर्ट बनाने की पुष्टि पूर्व शहडोल संभाग आयुक्त की रिपोर्ट में हुई है। आपको इसकी जांच करानी चाहिए।
आपकी सरकार ने एक ऐसे विवादित व्यक्ति को बोर्ड का सदस्य बनाया है जो पिछले वर्ष नियम विरुद्ध तरीके से राजस्थान के रणथंबोर टाइगर रिजर्व में घूमते हुए पाए गए थे और टाइगर रिजर्व के कैमरा ट्रैप फ़ोटोग्राफ जिनमे यह सदस्य दिख रहे थे भी वायरल हुए थे जो इस मेल के साथ संलग्न हैं। आपको इसकी जांच करानी चाहिए।
आपकी सरकार ने अधिकतर गैर सरकारी सदस्यों को मध्यप्रदेश के बाहर से चुना और 1 ऐसे रिटायर्ड आईएफएस को सदस्य बनाया जो पिछले 15 साल से मध्यप्रदेश/देश से बाहर पदस्थ रहे हैं। यह सदस्य मप्र की जमीनी हकीकत से वाकिफ नही हैं।
आपकी सरकार ने बोर्ड में उम्रदराज गैर सरकारी सदस्यों को बनाकर मप्र की भविष्य के वन और वन्य प्राणियों के संरक्षण की समस्याओं के प्रबंधन के प्रति असंवेदनशीलता जाहिर की है।
मुझे ज्ञात हुआ है कि वन विभाग ने राज्य वन्य प्राणी बोर्ड के लिए वन्य प्राणी संरक्षण से जुड़े लोगो की सूची आपको प्रस्तुत की थी किंतु उसे दरकिनार कर राजनैतिक और निजी स्वार्थ के कारण मुख्यमंत्री कार्यालय ने अयोग्य लोगो को नियम विरुद्ध चयनित किया।
मैं आपको सूचित करना चाहूंगा कि मुझे राज्य वन्य प्राणी बोर्ड में गैर सरकारी सदस्य के पद पर नामांकन हेतु वन विभाग से अनुरोध प्राप्त किया था किंतु मैंने विनम्रता पूर्वक उसे अस्वीकार कर दिया था। आपको सूचित करना आवश्यक है कि मैं स्वयं पिछले 20 वर्षों से वन ,पर्यावरण और वन्य प्राणियों के संरक्षण हेतु कार्यरत हूँ।
अवैध राज्य वन्य प्राणी बोर्ड को तत्काल भंग करें
मुख्यमंत्री जी कृपया इस अवैध राज्य वन्य प्राणी बोर्ड को तत्काल भंग कर वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत नियम बनाये और विधिवत योग्य और प्रख्यात लोगो को शामिल कर बोर्ड बनाये।
आपकी सरकार यदि इस विषय पर आवश्यक कदम नही उठाती तो बाध्य होकर मुझे न्यायालय की शरण मे जाना पड़ेगा।
कृपया अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस की पूर्व संध्या पर आदिवासी समाज के प्रति वन विभाग की सोच और कार्यशैली को भी सुधारने के लिए आवश्यक कदम उठाए।
आदर सहित
अजय दुबे
वन्य प्राणी संरक्षण कार्यकर्ता।
9893094043
भोपाल