आयुष्मान भारत योजना में बेईमानी | EDITORIAL by Rakesh Dubey

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नई दिल्ली। स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रो में अजीब गोरखधन्धा फैला दिया है | अल्प शिक्षित ग्रामीण और शहरी, पढ़े-लिखे मरीजों के भी न जाने कितने मामले आते हैं जिनमें बीमे का पैसा लूटने के लिए उनकी छोटी-मोटी बीमारियों को भी गंभीर बनाकर पेश कर दिया जाता है। सरकार इससे संतुष्ट है उसके हिसाब से सब अमन चैन है| स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने लोकसभा को बताया है कि आयुष्मान भारत योजना पूरी तरह ट्रैक पर है| देश के 10.74 करोड़ परिवार अब तक इससे लाभान्वित हो चुके हैं। कुछ दिनों पहले उन्होंने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया था कि अभी देश में 19000 आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एबीएचडब्ल्यूसी) चल रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक साल के अंत तक ऐसे केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 40000 कर दी जाएगी। 

कहने को यह योजना देश के आम गरीब नागरिकों के स्वास्थ्य से जुड़ी है, इसलिए इसे लेकर सरकार का उत्साह समझ में आता है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के इन वक्तव्यों में इस योजना से जुड़े चिंताजनक पहलुओं की कोई झलक नहीं मिलती। इनमें सबसे खतरनाक है अस्पतालों की जा रही धोखाधड़ी। माध्यम यह योजना है | नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (एनएचए) की एंटी फ्रॉड यूनिट द्वारा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और झारखंड सहित कई राज्यों में आयुष्मान भारत स्कीम के तहत चल रही धोखाधड़ी के जो मामले पकड़े हैं। हैरत में डालने वाले हैं|

जैसे कुछ मामलों में तो पुरुषों के गर्भाशय को ऑपरेशन द्वारा निकाला जाना दिखाया गया है, जबकि गर्भाशय केवल स्त्रियों में होता है, पुरुषों में इसके होने का कोई सवाल ही नहीं उठता। एक डॉक्टर को एक साथ कई जिलों में ऑपरेशन करते दिखाया गया है। कुछ मामले ऐसे भी हैं जिनमें एक मरीज के एक ही रात में कई-कई ऑपरेशन हुए बताए गए हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि हॉस्पिटल अपने रेकॉर्ड में मरीजों के इलाज के फर्जी मामले दर्ज कर बीमे की राशि हड़प रहे हैं। ये मामले पकड़े जाने के बाद सरकार ने कार्रवाई भी की है। ढाई सौ से ज्यादा अस्पतालों और 900 सेवा केंद्रों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई है। 

सरकार अब महिला और पुरुष मरीजों की अलग श्रेणियां बनवा रही है ताकि पुरुषों के गर्भाशय निकालने जैसे कृत्य संभव न हों, लेकिन असल मामला इलाज के नाम पर जारी फर्जीवाड़े का है, जिसे रोकने की प्रणाली बनाने की मांग आयुष्मान भारत योजना आने के पहले से की जा रही है।सरकार जाने किन दबावों के चलते ऐसा नहीं कर रही है |हेल्थ इंश्योरेंस स्कीमों ने डॉक्टरों और प्राइवेट हॉस्पिटलों का धंधा भले चोखा किया हो, मरीजों को और दयनीय ही बनाया है। शहरी, पढ़े-लिखे मरीजों के भी न जाने कितने मामले आते हैं जिनमें बीमे का पैसा लूटने के लिए उनकी छोटी-मोटी बीमारियों को भी गंभीर बनाकर पेश कर दिया जाता है। मरीज की जेब पर इसका ज्यादा बोझ भले न पड़ता हो, पर उसके शरीर की दुर्गति हो जाती है। यह गोरखधंधा अब मध्यमवर्गीय लोगों से आगे बढ़कर बरास्ते आयुष्मान गांवों के गरीब परिवारों तक पहुंच गया है तो उनकी दशा की कल्पना ही की जा सकती है। बेहतर होगा कि सरकार अभी अपनी ताकत आयुष्मान भारत योजना को देशव्यापी बनाने के बजाय इसके छेद बंद करने पर लगाए। एक बार इन स्वास्थ्य लुटेरों के मन में पकड़े जाने का एहसास और सजा पाने का खौफ पैदा कर करना भी जरूरी , फिर इसके आगे बढ़ने में कोई दुविधा नहीं रहेगी।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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