सुनील विश्वकर्मा/हरपालपुर। सावन माह भगवान शिव की उपासना का माह भी माना जाता हैं और इस माह में सबसे पवित्र माना जाता हैं। सोमवार दिन वैसे तो प्रत्येक सोमवार भगवान शिव की उपासना के लिए उपयुक्त माना जाता हैं लेकिन सावन माह के सोमवार की अपनी महत्ता हैं। जिला छतरपुर के हरपालपुर नगर से चार किलोमीटर की दूरी पर सरसेड़ गाँव मे पहाड़ की गोद में स्थित हैं शिव मंदिर।
सरसेड़ गांव छटवीं शताब्दी में नाग राजाओं की राजधानी रही हैं। इस गांव में बना शिव मंदिर पहाड़ की गोद मे स्थित हैं। जो पूरी तरह से पत्थरों को काटकर बनाया गया हैं सावन के माह में और महाशिवरात्रि के पर्व यहाँ श्रद्धालुओ का तांता लगा रहता हैं। नागराजाओं की आस्था धर्म विश्वास का प्रतीक अनोखा शिव मंदिर भले ही कोणार्क व खजुराहो के मतंगेश्वर मंदिर की तरह प्रसिद्ध न हो पाया लेकिन शिवधाम सरसेड़ मंदिर आने वाले श्रदालुओं के लिए जिज्ञासा का केंद्र वर्षो से बना हैं।
यह हैं मंदिर की विशेषता
शिवधाम सरसेड़ के शिव मंदिर सैकड़ों हजारों भक्तों ने भगवान भोलेनाथ के दर्शनकर पुण्य लाभ कमायां शिवधाम सरसेड़ में भगवान भोलेनाथ का बेहद प्राचीन मंदिर यहाँ स्थित हैं। जानकारी के अनुसार छटवीं शताब्दी भगवान भोलेनाथ स्वयं प्रकट हुए थे और उनके ऊपर विशाल चट्टान शेषनाग की तरह स्थित हैं। और यह चट्टान हर साल शिवलिंग से ऊपर उठती जा रही है। बहुत पहले श्रद्धालु लेटकर परिक्रमा करते थे लेकिन अब इनती जगह हो गयी है कि श्रद्धालु पूजा अर्चना और आसानी से परिक्रमा कर सकते है।
मंदिर के पुजारी ने बताया कि नागराजाओं की राजधानी रही हैं। मंदिर के पहाड़ पर सात पानी के कुण्ड हैं इन कुंडों का पानी कभी नही सूखता हैं। भीषण गर्मी में भी नही सूखते कुंड। मंदिर के पास एक प्राचीन गुफा हैं जिसमे लोगों का जाना वर्जित हैं। और गुफा को बंद कर दिया गया हैं।
इस मंदिर के एक गणेश मंदिर हैं जिसके पास से एक गुफा अंदर की और जाती हैं। लोगो की मान्यता अनुसार में जो शिवलिंग के ऊपर विशाल चट्टान हैं प्रत्येक पांच वर्ष में एक इंच ऊपर उठती हैं।
हरपालपुर कैसे पहुंचे
सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन झांसी हैं। यहां से (94.8 किमी) झांसी-मिराजपुर हाईवे से होकर मात्र 2 घं 17 मि लगते हैं। लोकल ट्रांसपोर्टेशन भी है।
छतरपुर जिला मुख्यालय से हरपालपुर आते हैं तो (53.8 किमी) NH39 से होकर आने के लिए 1 घं 18 मि का समय लगेगा।