रतलाम। सागोद रोड स्थित नित्यानंद आश्रम के संत नर्मदानंद पर आरोप है कि उन्होंने एक यज्ञ के दौरान यज्ञाचार्य को ना केवल टोका, अपमानित किया बल्कि् कॉलर पकड़कर थप्पड़ भी मारा। बता दें कि हिंदू धर्म में यज्ञ प्रारंभ हो जाने के बाद यज्ञाचार्य को देवतुल्य माना जाता है और यज्ञ पूर्ण होते तक विध्न उत्पन्न नहीं किया जाता। संत नर्मदानंद की इस हरकत से ब्राह्मण समाज नाराज है एवं नर्मदानंद की योग्यता पर प्रश्न उपस्थित हुआ है। बता दें कि ये वही नर्मदानंद महाराज हैं जिन्हे तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कम्प्यूटर बाबा के साथ राज्यमंत्री का दर्जा दिया था।
नर्मदानंद चाहते थे यज्ञाचार्य भी स्वाहा बोलें
भक्त ने बताया कि पंडित को पितातुल्य गुरुजी नर्मदानंदजी ने डांटा होगा, जिसे उन्होंने मुद्दा बना लिया। आश्रम में 12 जुलाई से पांच दिनी यज्ञ चल रहा है। रविवार सुबह यज्ञाचार्य पं. नंदकिशोर व्यास, पं. शुभम मेहता, पं. मयूर शर्मा, पं. दीपक शर्मा व हेमंत उपाध्याय यज्ञ कर रहे थे। पं. शुभम मेहता मंत्रोच्चार कर रहे थे, वहीं अन्य पंडित आहुति दे रहे थे। आहूति देते समय पं. मेहता स्वाहा नहीं बोल रहे थे। आरोप है कि तभी नित्यानंद ने कहा कि तुम भी स्वाहा बोले। पं. मेहता ने कहा कि स्वाहा अन्य पंडित कह रहे हैं। इसे लेकर विवाद की स्थिति बन गई और हंगामा होने लगा। यज्ञाचार्य नंदकिशोर का आरोप है कि संत नर्मदानंद ने उनकी कॉलर पकड़कर चांटा मारा। इसकी शिकायत पुलिस थाने में की गई है।
क्या यज्ञाचार्य को स्वाहा बोलना चाहिए
यज्ञ के दौरान कई प्रकार की आहुतियां दी जातीं हैं। आहूति का एक प्रकार ऐसा होता है जब यज्ञाचार्य 'स्वाहा' उच्चारण करते हैं फिर अन्य सभी आहूति देते हुए 'स्वाहा' का उच्चारण करते हैं। एक अन्य प्रकार यह भी होता जब यज्ञाचार्य मंत्रोच्चार करते हैं और हाथ से संकेत करते हैं फिर आसन पर उपस्थित लोग आहूति देते हैं और 'स्वाहा' का उच्चारण करते हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार चाहे कोई राजा या विद्वान ऋिषि ही क्यों ना हो, यदि एक बार यज्ञाचार्य का चुनाव कर लेता है तो फिर यज्ञ प्रक्रिया के दौरान उसके आदेश का पालन करते हुए बाध्य होता है। कोई भी यज्ञाचार्य को निर्देशित नहीं कर सकता।