भारतीय रेल के चरणबद्ध निजीकरण की शुरूआत | NATIONAL NEWS

नई दिल्ली। भारत में नागरिक परिवहन के सबसे सस्ते साधन भारतीय रेल के निजीकरण की शुरूआत होने जा रही है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय रेलवे को 2030 तक दुनिया की सबसे अच्छी रेल सेवा बनाएंगे। इसके लिए 50 लाख करोड़ रुपए के निवेश की जरूरत होगी, लेकिन सरकार अकेले इसे पूरा नहीं कर सकती है। कुछ क्षेत्रों में निजीकरण की जरूरत होगी। 

बजट में आगे के 11-12 साल को ध्यान में रखा

गोयल ने कहा, ‘मैं रेलवे के निजीकरण की बात नहीं कर रहा हूं, लेकिन निवेश के लिए रेलवे के कुछ सेक्टर को निजी क्षेत्र के लिए खोला जा सकता है। निजी क्षेत्र लाइसेंस फीस के बदले में इन क्षेत्रों में अपने रेलमार्ग का संचालन कर सकता है। रेलवे ट्रांसपोर्ट का एक प्रमुख साधन है और बजट में इसका भी ध्यान रखा गया है। भविष्य के 11-12 सालों को देखते हुए बजट में रेलवे के लिए 50 लाख करोड़ रुपए प्रस्तावित हुए हैं।’

बजट बढ़ रहा है

रेलमंत्री ने कहा कि रेलवे पर भार बढ़ने से यात्रियों और मालगाड़ियों को असुविधा और असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है। यात्रियों की सुरक्षा और रेलवे विस्तार को ध्यान में रखते हुए पिछले पांच सालों की तुलना में इस साल दोगुना निवेश करने की योजना बनाई गई है। यह रकम 1.60 लाख करोड़ रुपए के आसपास है। 2013-14 में यह 40 से 45 हजार करोड़ थी।

सरकार अकेले 50 लाख करोड़ के निवेश में सक्षम नहीं: गोयल

गोयल के मुताबिक, सरकार अकेले 50 लाख करोड़ रुपए निवेश करने में सक्षम नहीं है। इसके लिए हमारी योजना अतंरराष्ट्रीय मानकों की तकनीक, निवेश और सार्वजनिक-प्राइवेट साझेदार या फिर टीओटी (टोल ऑपरेट ट्रांसफर) मॉडल को लाना है। हम सिर्फ रेलवे का विकास चाहते हैं, इसके लिए एक अलग तरह का मॉडल अपनाएंगे।

निजी कंपनियां अपनी लाइन बिछा सकती हैं

उन्होंने कहा, 'एक योजना के तहत कुछ सेक्टर ऐसे हो सकते हैं जहां निजी कंपनियां अपनी लाइन बिछा सकती हैं। हमें कोई समस्या नहीं होगी। वे हमसे लाइसेंस ले सकते हैं। रेलवे अपना राजस्व बढ़ाने में सक्षम होगी। अगर इसका राजस्व बढ़ेगा तो यह अपने यात्रियों को बेहतर सुविधा प्रदान करने में सक्षम होंगे।'

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