RTI एडमिशन के लिए BEO-BRC, प्रधानाध्यपक की वेतनवृद्धि रोकना अनुचित: कर्मचारी संघ | EMPLOYEE NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। आरटीई के प्रावधानों के अनुसार प्रत्येक निजी विद्यालय में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के बच्चों को 25% प्रवेश देना अनिवार्य है, लेकिन सीट पूर्ति के लिए श्रीकांत बनोठ कलेक्टर महोदय धार द्वारा बीईओ, बीआरसीसी व प्रधानाध्यापकों वेतनवृद्धि रोकने का दबाव अनुचित गैर जरूरी व अन्याय पूर्ण है। 

मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने बताया कि शिक्षा विभाग अपने विद्यालयों के बजाय निजी विद्यालय के संचालक कैसे हो सकते है ? इससे शिक्षकों में भारी नाराजगी व आक्रोश व्याप्त हैं जो कभी भी आंदोलन के रूप में सड़कों पर देखने को मिल सकता है। निजी विद्यालयों की शुल्क की भरपाई शासन द्वारा करने का प्रावधान है । सरकार के अपने शासकीय विद्यालय मूलभूत सुविधाओं जैसे शुद्ध पेयजल, बिजली, पंखें, टायलेट, खेल मैदान, बारहमासी उपयोगी भवन, बाउंड्रीवाल, पर्याप्त शिक्षक जो गैर शैक्षणिक कार्यो से मुक्त केवल शिक्षण करें, सफाई कर्मचारी, बालक- बालिका के अलग-अलग शौचालय आदि का अभी भी अभाव है। 

शाला आकस्मिक निधि वर्षो से पुनरीक्षित नहीं की गई जिसके कारण बुनियादी शैक्षणिक वातावरण बनाने में शिक्षकों को जूझना पड़ता है । ठीक इसके उलट देशभर में अरबों रुपये 25% बच्चों की शुल्क के नाम से निजी संस्थाओं को सौंप कर उन्हें उपकृत किया जा रहा है । इसे कहते है "घर के पूत कुंवारे और पड़ोसियों को फेरे लगवाना। सरकार का आगे आकर खुद अपने शिक्षा विभाग पर अविश्वास से समाज में यह संदेश जा रहा है कि सरकारी विद्यालय असरकारी नहीं रहे । सरकार का यह आत्मघाती कदम होकर कई विद्यालय छात्र संख्या की कमी के चलते या तो बंद हो गये या बंद होने की कगार पर पहुंच गये है। 

इसके कारण कई विद्यालयों में अतिशेष की स्थिति बन गई है । सरकारी विद्यालयों में आम परिवारों के बच्चें पढ़ने आते है ये इन बच्चों को भी कुंठित कर हीन भावना पैदा कर रहा है। सरकार द्वारा आगे रहकर शासकीय शिक्षक व समाज में खाई डालने का काम किया है जो आम जनता शिक्षक व छात्रों के लिए नुकसानदायक है। लोक कल्याण के लिए सरकारी फंड को निजी विद्यालयों पर लुटाने के बजाय शासकीय विद्यालयों की बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति कर आरटीई के इस प्रावधान को तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए।

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