BHOPAL LAKE: गर्मियां आराम से बिताईं अब बादल घिर आए तो गहरीकरण शुरू | BHOPAL NEWS

भोपाल। सरकार जो ना करे वही कम है। भोपाल का तालाब सूख गया। पूरे तालाब में गाद भरी हुई है। गर्मियों में हाहाकार मचता रहा, अब जबकि प्री मानसून की बारिश शुरू हो गई है। मानसून बस आने ही वाला है तो तालाब का गहरीकरण शुरू कर दिया गया है। इसे जोर शोर से प्रचारित किया जा रहा है। सवाल यह है कि क्या प्रचारित करने से तालाब गहरा हो जाएगा। 

कहा जा रहा है कि अभियान के तहत बड़े तालाब के साथ ही कोलांस नदी की सफाई भी होगी। जनसहयोग के साथ जिला प्रशासन ने बैरागढ़ विसर्जन घाट के सामने से गहरीकरण का काम शुरू किया है। सुबह 9:30 बजे अभियान शुरू हुआ है। इसमें शहर के सभी जनप्रतिनिधियों और सरकारी विभागों के साथ-साथ आम लोगों को बुलाया गया था। बड़े तालाब से मिट्टी निकालने के लिए करीब 60 डंपर, 12 जेसीबी और छह पोकलेन मशीनें लगाई गई हैं। संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव ने बताया कि यहां से निकाली जाने वाली मिट्टी का इस्तेमाल निगम के पार्क, गुलाब उद्यान आदि के लिए किया जाएगा। तालाब से 15 हजार डंपर गाद-मिट्टी निकालने का लक्ष्य रखा गया है। 

दावा ताल को पुनर्जीवन मिलेगा


भोपाल ताल इस बार फिर काफी सूख गया है। तकिया टापू तक लोग पैदल जा रहे हैं। बड़े तालाब को शहर की जीवनरेखा माना जाता है। ऐसे में इसका सूख जाना चिंताजनक है। शहर की बड़ी आबादी को पेयजल सप्लाई इसी तालाब से होती है। लोकसभा चुनाव के बाद लम्बा समय निकल गया लेकिन 45 डिग्री तापमान में दफ्तर से बाहर निकलने की हिम्मत किसी ने नहीं की। अब प्रशासन ने दावा किया है कि बड़े पैमाने पर तालाब की सफाई और गहरीकरण शुरू किया जा रहा है। अभियान में जिला प्रशासन, नगर निगम और अन्य सरकारी निर्माण एजेंसी काम कर रही हैं। 

सरकारी अभियान का इंतजार कर रहीं थीं संस्थाएं


अब जबकि सरकारी अभियान शुरू हुआ तो संस्थाएं भी लोकप्रियता बटोरने आ गईं। संस्कार सुधा फाउंडेशन, भोपाल, लेक प्रियदर्शिनी, आदर्श सांस्कृतिक युवा मंडल, केलेन्स साफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड, अदानी स्किल डेवलपमेंट प्राईवेट लिमिटेड, स्किलरूट, निवाना सोशल वेल्फेयर सोसायटी, इंटेक कम्प्यूटर प्राईवेट लिमिटेड, मनोरमा स्किल डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड, यशस्वी प्राईवेट लिमिटेड, एसेन्सिव एज्यूकेशन प्राइवेट लिमिटेड के सदस्य श्रमदान करके फोटो खिंचवाएंगे। सवाल यह है कि यदि तालाब की ही चिंता थी तो सरकारी अभियान का इंतजार क्यों किया जबकि मीडिया लगातार भयावह चित्र प्रस्तुत कर रही थी। 

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