ग्वालियर। ईको ग्रीन के हड़ताली कर्मचारियों को वापस काम पर लाने के लिए ठेकेदार ने हड़ताली कर्मचारियों के यहां पुलिस भेज दी। हालांकि कर्मचारियों ने कंपनी प्रबंधन के खिलाफ माफियागिरी की आपराधिक शिकायत नहीं की है परंतु कर्मचारियों का कहना है कि वो इस तरह दवाब में आने वाले नहीं हैं। मामला पीएफ और अन्य अधिकारों का है।
हड़ताली कर्मचारियों ने बताया कि हमने शौक से काम बंद नहीं किया है, बल्कि ईको ग्रीन का जिम्मा संभालने वाली कंपनी हमारे साथ ज्यादती कर रही है, हमें ठगा जा रहा है। डेड़ साल से वेतन में से हर माह बारह प्रतिशत राशि पीएफ के नाम पर काटी जा रही है, लेकिन इसे खाते में जमा नहीं कराया जा रहा। जब तक हमें न्याय नहीं मिलता हम काम नहीं करेंगे। वहीं आज पुलिस भेजकर हमें काम पर लौटने के लिये धमकाया गया लेकिन हम डरने वाले नहीं, न ही ठेकेदार के दबाव में आने वाले। यह कहना है शहर की सफाई व्यवस्था संभालने वाली ईको ग्रीन कंपनी के कर्मचारियों का। इनका यह भी कहना है कि उन्हें डेड़ साल से आश्वासन तो मिल रहा है, लेकिन उस पर अमल नहीं हो रहा, जिसे लेकर यह उनकी तीसरी हड़ताल है।
क्या है मामला
ईको ग्रीन के जिम्मे शहर से डोर टू डोर गीला और सूखा कचरा उठाने का जिम्मा है, लेकिन बुधवार को इनके द्वारा काम बंद कर दिया गया। इसके बाद शहर भर में जगह-जगह कचरे के ढेर लग गए। मेला ग्राउंड व नारायण विहार दोनों ही साइटों के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे, लेकिन मेला ग्राउंड साइड के कर्मचारी आश्वासन के बाद काम पर आ गए, वहीं ठेकेदार द्वारा शेष को भी काम पर वापस लाने के लिये आज सुबह पुलिस भेज दी गई जिससे यह बिफर गये। इनका कहना था कि उनकी मांग जायज है जब तक वह पूरी नहीं होती तब तक वह काम पर नहीं लौटेंगे।
अधिकारी परेशान
तीन दिन से कचरा न उठने के कारण जगह-जगह कचरे के ढेर लग गए हैं, जिससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है। गंदगी के कारण मच्छरों का भी प्रकोप बढ़ रहा है। उधर इस हड़ताल ने नगर निगम के कर्मचारियों के माथे पर शिकन ला दी है, क्योंकि पहले ही ग्वालियर स्वच्छता मिशन में फिसड्डी साबित हो चुका है, ऐसे में यह हालात निगम की छवि बिगाड़ सकते हैं।