अध्यापक/शिक्षक साथियो, क्यों ना अपन EL की मांग करें | KHULA KHAT @ ADHYAPAK and TEACHERS

Bhopal Samachar
शिक्षा विभाग एवं जन जातीय कार्य विभाग के शिक्षक संवर्ग को विश्रामावकाश विभाग के रूप में जाना जाता है। एक समय था जब ग्रीष्मावकाश 01 मई से 30 जून 61 दिन, दशहरा- दीपावली 24 दिन व शीतकालीन 25 से 31 दिसम्बर 07 दिन कुल 92 दिन अवकाश होते थे। इस विभाग को छोड़कर अन्य विभागों के कर्मचारियों को इस एवज में 30 दिन प्रतिवर्ष अर्जित अवकाश का लाभ स्वीकृत किया जाता है। तब विश्रामावकाश विभाग के कर्मचारियों (शिक्षकों) को संपूर्ण सत्र में अवकाश अवधि में कर्तव्यारूढ़ होने पर 30 दिन अर्जित अवकाश व कम समय पर आनुपातिक 3:1 के मान से अवकाश स्वीकृत किया जाता था। 

कालान्तर में शिक्षकों के अवकाश में कटौती के एवज में 10 दिन प्रतिवर्ष शिक्षकों को अर्जित अवकाश के रूप में स्वीकृत होने लगे जो बाद में भूतलक्षी प्रभाव से समाप्त किये गये हैं। वर्तमान में लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल के दिनांक 16 जून 2008 के आदेशानुसार 45 दिन अवकाश मानकर कर्तव्यारूढ़ होने पर 30 दिन अर्जित अवकाश या आनुपातिक अवकाश का प्रावधान किया गया है। चालू सत्र में मप्र शासन स्कूल शिक्षा विभाग के 18 मार्च के आदेशानुसार दिनांक 01 मई से 09 जून कुल 40 दिन ग्रीष्मावकाश घोषित किया। अकारण 45 दिन के मुकाबले पांच दिन अवकाश कटौती की गई विडंबना है कि प्रचलित आदेश में मनमानी थोपी गई। इससे शिक्षकों में शासन प्रशासन व विभाग के प्रति गहरी नाराजगी व आक्रोश व्याप्त हैं जो आगे चलकर आंदोलन का कारण बन सकता है। इसकी भरपाई कैसे की जाएगी ?  इसपर विभाग को चिंतन कर निर्णय लेना चाहिए। 

चालू सत्र में देखें तो अन्य विभागों में शिक्षकों की तुलना में द्वितीय व तृतीय शनिवार प्रतिमाह के मान से बारह माह में 24 दिन अतिरिक्त व 30 दिन अर्जित के साथ दशहरा, दीपावली, क्रिसमस, बुद्ध पूर्णिमा व ईदुलफितर पांच दिन समान्य अवकाश सहित कुल 61 दिन अवकाश प्रति कर्मचारी को मिलेगा। शिक्षकों को ग्रीष्मावकाश 40, दशहरा 04, दीपावली 06 व शीतकालीन 06 कुल 56 दिन अवकाश स्वीकृत किया गया है। जो अन्य विभागों में कार्यरत कर्मचारियों के मुकाबले पांच दिन कम है। शासन प्रशासन व विभाग के जवाबदार गहन चिंतन कर शिक्षकों को अवकाश अवधि  में कटौती की भरपाई पर चिंतन कर न्याय संगत निर्णय लें। 

शिक्षक संवर्ग के साथ न्याय किया जाना समयोचित है; या तो भरपाई हो या विश्रामावकाश विभाग का तमगा हटाकर सामान्य नियमानुसार अन्य विभागों के साथ वर्षभर विद्यालयों का संचालन कर अन्य कर्मचारियों के समान 30 दिन अर्जित अवकाश प्रतिवर्ष प्रति शिक्षक को स्वीकृत किया जाए । इससे मुफ्त में बदनाम अवकाश के नाम पर शिक्षा विभाग की छवि को बट्टा लग रहा है ।उससे छुटकारा मिलने के साथ शिक्षक  संवर्ग के साथ न्याय होगा। सभी अध्यापक/शिक्षक साथियो से अनुरोध है वे इस बात पर मनन करें कि क्यों ना बाबूओं /प्राचार्यों की तरह रिटायरमेंट के समय उन्हें भी 300 दिवस (10 माह का वेतन) का वेतन ईएल के रूप में मिले जिससे वे रिटायरमेंट के समय आर्थिक रूप से मजबूत बन सकें। इस मांग को पुरजोर तरीके से रखने के लिए शिक्षक संवर्ग के समस्त संगठनों को साथ मिलकर अपनी मांग को बुलंद करना होगा। 
पत्र लेखक: 
ललित दुबे अध्यक्ष, 
विवेक शुक्ला कार्यकारी अध्यक्ष, 
राजकुमार सिंगौर सचिव,
मध्यप्रदेश शिक्षक कांग्रेस मंडला
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