भोपाल। मप्र शासन सामान्य प्रशासन विभाग भोपाल ने दिवंगत कर्मचारियों के परिजनों के लिए अनुकंपा नियुक्ति में प्रशिक्षण की अनिवार्यता की जो असंवैधानिक, क्रूर व अमानवीय है। मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने कहा है कि शिक्षा विभाग के लिए दिवंगत (शिक्षक/अध्यापक) कर्मचारियों के परिजनों के लिए अनुकंपा नियुक्ति में बीएड/डीएड की अनिवार्यता का प्रावधान किया गया जो असंवैधानिक, काफी क्रूर व अमानवीय है। इस प्रावधान से दिवंगत कर्मचारियों के परिजनों को षडयंत्र पूर्वक अनुकंपा नियुक्ति से वंचित किया जा रहा है।
ऐसे परिजनों को पूर्व में कैसे ज्ञात होगा कि उनके परिवार में ऐसी असहज स्थितियां निर्मित हो सकती है जिसके लिए बीएड/डीएड प्रशिक्षण लेकर तैयार रहना चाहिए। यह नियम केवल शिक्षक/अध्यापक संवर्ग पद पर ही लागू किया गया जो संविधानिक समानता के अधिकारों का भी खुला अलंग्घन है। पूर्व में नियुक्ति पश्चात ही शिक्षा विभाग द्वारा प्रशिक्षण करवाया जाता था इस नियम में बदलाव कर संविधान के समानता के अधिकारों का तो उल्लंघन हुआ ही है साथ ही ये दिवंगत कर्मचारियों के परिजनों के क्रूर व अमानवीय है।
प्रदेश सरकार को इस पर गंभीरतापूर्वक विचार कर लोकसभा चुनाव के पश्चात होने वाले बजट सत्र में अनुकंपा नियुक्ति में प्रशिक्षण की अनिवार्यता समाप्त कर सरलीकरण किया जाकर इसे भूतलक्षी प्रभाव 1994-95 से लागू किया जाना चाहिए जहाँ से शिक्षक संवर्ग को डाइंग केडर (मृत संवर्ग) घोषित किया था ताकि अभी तक दिवंगत शिक्षाकर्मी/अध्यापकों के परिजनों के लिए अनुकंपा की राह आसान हो।