AIIMS परीक्षा में फेल हुआ तो इंस्टीट्यूट से जुर्माना वसूल लिया | EDUCATION NEWS

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NEW DELHI: हर साल एम्स में दाखिला लेने के लिए लाखों  STUDENT Entrance Exams में शामिल होते हैं. जाहिए है ये परीक्षा काफी मुश्किल होती है जिसकी तैयारी के लिए छात्र कोचिंग सेंटर ( Coaching Center ) का सहारा लेते हैं. लेकिन हाल ही में एक ऐसी खबर आई जिसमें एम्स एंट्रेंस परीक्षा की तैयारी कराने वाले हैदराबाद के कोचिंग सेंटर पर एक 28 साल के डॉक्टर आर शंकर राव ने मुकदमा कर दिया.

डॉक्टर का कहना है कि ये कोचिंग सेंटर सही से तैयारी नहीं करवा रहा है, साथ ही तैयारी कर रहे छात्रों को कक्षा में पढ़ाने के लिए फैकल्टी मेंबर देने में असफल रहा. कोचिंग सेंटर की इसी लापरवाही के कारण उनका परीक्षा में प्रदर्शन खराब रहा. जिसकी वजह से वह फेल हो गए.

जिले के कंज्यूमर फोरम ने आर शंकर राव को 45,000 रुपये वापस किए जो उन्होंने कोचिंग की फीस दी थी. साथ ही नुकसान भरपाई के लिए 32,000 रुपये का मुआवजा दिया गया. न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार चिक्कड़पल्ली में 'भाटिया मेडिकल इंस्टीट्यूट' में मेडिकल कोचिंग के लिए दाखिला लेने वाले आर शंकर राव को आश्वासन दिया गया कि उन्हें डॉ देवेश मिश्रा ही उनकी पढ़ाएंगे. लेकिन कोचिंग सेंटर ज्वॉइन करने के बाद शंकर के हाथ निराशा लगी. डॉ देवेश मिश्रा एक पैथोलॉजिस्ट हैं, लेकिन उन्होंने एक भी दिन पूरे कोर्स के दौरान क्लास नहीं ली.

यहीं नहीं शंकर ने आरोप लगाया कि एम्स एंट्रेंस टेस्ट कोर्स में शामिल होने वाले सभी टॉपिक्स को कोचिंग सेंटर ने कोर्स में शामिल नहीं किया था. वह सभी टॉपिक्स को कवर करने में असफल रहे. जिसकी वजह से वह एम्स एंट्रेंस टेस्ट को पास नहीं कर पाया और पैसा, समय दोनों ही बर्बाद हो गए.

वहीं दूसरी ओर कोचिंग सेंटर ने दावा किया है कि उनके कोचिंग सेंटर की तकनीकों में कोई गलती नहीं थी, साथ ही उन्होंने कभी भी डॉ देवेश मिश्रा को फैक्लटी मेंबर के तौर पर होने का कोई वादा नहीं किया था. कोचिंग सेंटर ने ये कहते हुए आरोपों को खारिज कर दिया कि उन्होंने कोर्स में शामिल होने वाले एडिशनल टॉपिक्स को पढ़ाया था.

हालांकि, हैदराबाद कंज्यूमर फोरम 3 ने कहा कि सेंटर शिकायतकर्ता को दिए गए मानकों को प्रस्तुत करने में असफल रहा. यानी सेंटर ने अपने छात्र की जरूरत का ख्याल नहीं रखा. वहीं अपने ऑडर में कंज्यूमर फोरम ने कहा कि कोचिंग सेंटर को अपने किसी भी छात्र को 'निराश और असंतुष्ट' नहीं करना चाहिए थे. ये कोचिंग सेंटर की गलती है.

कंज्यूमर फोरम ने कहा है कि इस मुद्दे से संबंधित कोचिंग सेंटर को कई ईमेल लिखे गए थे. वहीं अगर सेंटर चाहता तो आवश्यक राशि काटने के बाद शिकायतकर्ता को वापस कर सकता था. वहीं कोचिंग सेंटर यदि किसी बात का दावा करते हैं तो उसे अपने वादे को पूरा करना चाहिए था. 
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