सरकार OUTSOURCED COMPANIES को कितना देती है।
आप केवल इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं म.प्र. शासन द्वारा आउट सोर्स कंपनी के माध्यम से सभी विभागों में लगभग 25000 आॅपरेटरों से कार्य लिया जा रहा है। शासन द्वारा आउट सोर्स कंपनी को प्रति आॅपरेटर 14000 से 18000 का भुगतान किया जाता है। 14000 के आंकड़े को ही लेकर चलते हैं तो 14000 x 25000 = 350000000/- (अंकन 35 करोड़ रूपए प्रति माह) साल भर का 350000000x12 =4200000000/- (अंकन 4 अरब बीस करोड रूपए प्रति वर्ष ) आप सोच सकते हैं 4 अरब 20 करोड़ रूपए प्रतिवर्ष का भुगतान आउट सोर्स कंपनियों को शासन द्वारा किया जाता है।
कंपनियां Computer Operators को कितना भुगतान करतीं हैं।
अब हम यह देखते हैं कि क्या यह 2 अरब 20 करोड़ रूपए वास्तव में कंम्प्यूटर ऑपरेटर को मिलते है। जवाब नकारात्मक है। आउट सोर्स कंपनी द्वारा कम्प्यूटर ऑपरेटरों को प्रति कम्प्यूटर ऑपरेटर 2000 से 8000 रूपए का भुगतान किया जा रहा है। अधिक से अधिक राशि हम लेकर चलें तो 8000x25000 = 200000000 (बीस करोड़) रूपए साल भर में 200000000 x 12 = 2400000000 रूपए जो वास्तव में कम्प्यूटर आॅपरेटरों को दिया जाता है।
कुल कितने MONEY SCAM
4200000000-2400000000 = 1800000000 रूपए (एक अरब 80 करोड़ रूपए) जो कम्प्यूटर ऑपरेटरों का अधिकार था जिसे शासन के अधिकारियों ने खुद खाया और आउट सोर्स कंपनियों को लंबे समय से खिलाया और अगर आपने साथ नहीं दिया तो आगे भी खिलाते रहेंगे। यह आंकड़ा हमने अधिकतम मानकर निकाला है। वास्तव में घोटााला कई अरबों का किया जा रहा हैा इतना बड़ा घोटाला तो केवल मप्र में किया जा रहा है। संपूर्ण भारत की स्थिति क्या होगी आप सोच सकते हैं।
अतः मध्यप्रदेश कम्प्यूटर ऑपरेटर महासंघ सरकार के समक्ष यह सवाल करता है कि आखिर विभागों में क्यों आउटसोर्स के माध्यम से कम्प्यूटर ऑपरेटरों का शोषण करते हुए हजारों करोड़ों रूपयों का घोटाला किया जाता है? इस भयंकर घोटाला को देखते हुए मध्यप्रदेश कम्प्यूटर ऑपरेटर महासंघ सीबीआई जांच की मांग करता है।