सरकारों के कान नहीं, इस बार मतदान नहीं: किसानों का प्रदर्शन | MP NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश में सरकार से नाराज वर्गों के बाद अब ग्रामीण भी सामने आने लगे हैं। लोग 'नोटा' को वोट देने की बात कर रहे हैं तो कुछ चुनाव के बहिष्कार का ऐलान कर रहे हैं। आगर मालवा जिले के रलायती गांव में भी ऐसा ही प्रदर्शन किया जा रहा है। ग्रामीण हाथों तख्तियां लिए हुए थे जिस पर लिखा था 'सरकारों के कान नहीं, इस बार मतदान नहीं'। बता दें कि यहां एक स्‍टॉप डेम 8 साल से टूटा पड़ा है। किसानों को परेशानी होती है। भाजपा विधायक का कहना है कि लोगों ने समय पर बताया ही नहीं। 

गांव के बाहर लगा दिया बैनर

आगर मालवा जिले के रलायती गांव के बाहर बैनर लगा है- 'यहां चुनाव प्रचार न करें। यहां चुनाव का बहिष्कार किया गया है। गांव वालों का कहना है कि अगर कोई प्रचार को आया तो गांव में घुसने नहीं देंगे। इन ग्रामीणों ने हाथों में तख्तियां थामकर टूटे हुए स्‍टॉपडेम प्रदर्शन किया। तख्‍तियों पर 'सरकारों के कान नहीं, इसलिए मतदान नहीं।' 'यहां प्रचार बेकार है, मतदान का बहिष्‍कार है' जैसे नारे लिखे हुए थे।

आपको बता दें कि जिला मुख्‍यालय से महज 12 किलोमीटर दूर रलायती गांव के पास आहु नदी पर सन् 1984-85 में बना स्‍टॉप डेम आठ साल से टूटा पड़ा है। इसके चलते बिनायगा, रलायती और पिपलिया घाटा गांव के सैकड़ों किसानों की लगभग 1200 से 1500 बीघा जमीन पर रबी की फसल पिछले आठ साल से भी अधिक समय से प्रभावित हो रही है। ग्रामीणों के अनुसार डेम का एक हिस्‍सा टूट जाने से बरसात के दिनों में ही पूरा पानी बह जाता है, जिसकी वजह से रबी के मौसम में पानी की खासी किल्‍लत हो जाती है। यही कारण है कि डेम होने के बावजूद किसान रबी की फसल नहीं ले पा रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार उन्‍होंने कलेक्‍टर से लेकर विधायक, सांसद और मुख्‍यमंत्री तक को इसकी शिकायत की। मुख्‍यमंत्री हेल्‍प लाइन भी इन ग्रामीणों की कोई हेल्‍प नहीं कर पाई। आखिर में परेशान होकर इन किसानों ने इस बार चुनाव में मतदान का बहिष्‍कार करने की ठान ली है।

भाजपा विधायक का तर्क
वहीं इस मामले में स्‍थानीय भाजपा विधायक गोपाल परमार का अपना अलग ही तर्क है। उनका कहना है कि उनके पास ग्राम के लोग समय पर नहीं आए। यदि वे समय पर आते तो वे इस समस्‍या को जरूर हल करते। बहिष्‍कार की जानकारी लगने पर जिला कलेक्‍टर इस समस्‍या को जल्‍द ठीक करने व ग्रामीणों को मतदान के लिए समझाने की बात कही जा रही है।
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