संतों के चूल्हे पर अपनी खिचड़ी पकाने निकल पड़े कमलनाथ

भोपाल। छिंदवाड़ा सांसद कमलनाथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बन गए, सीएम पद के दावेदार भी बन गए लेकिन अब तक उन्होंने कुछ भी ऐसा प्रदर्शित नहीं किया है जो यह साबित करता हो कि उनके पास मप्र का अध्ययन है या मध्यप्रदेश की राजनीति का अनुभव है। अपनी नियुक्ति से आज तक कमलनाथ एक भी धमाका नहीं कर पाए। हां, दूसरों के चूल्हों पर अपनी खिचड़ी पकाने की कोशिश हमेशा करते नजर आते हैं। एक बार फिर संतों के चूल्हे पर अपना पतीला लेकर पहुंच गए हैं। यहां बात नर्मदा मुद्दे की हो रही है। 

आज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने बयान जारी किया है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भोपाल में संत सामगम में साधू-संतो को माँ नर्मदा के नाम पर झूठ परोस आये हैं। नर्मदा संरक्षण को लेकर बड़े-बड़े दावे कर आये। जबकि वास्तविकता इसके उलट है। जो भी साधू-संत नर्मदा नदी की दुर्दशा का मुद्दा उठा रहे हैं, वो हक़ीक़त है। इसके बाद उन्होंने वो सारे मामले गिना दिए जो या तो आरटीआई कार्यकर्ताओं ने पहले ही सामने ला दिए थे या फिर पत्रकारों ने। 

जनता को उम्मीद की किरण नहीं दिखा पा रहे कमलनाथ
मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह सरकार का जबर्दस्त विरोध है परंतु जितना सत्य विरोध है उतना ही सत्य यह भी है कि कमलनाथ जनता को उम्मीद की किरण नहीं दिखा पाए हैं। नियुक्ति से चुनाव घोषित होने तक​ भोपाल में एक भी बार 1 लाख लोगों की उपस्थिति नहीं दिखा पाए।  प्रदेश अध्यक्ष बनते ही बीएसपी की माला जपते रहे। अब कांग्रेस जयस के सामने हाथ फैलाए खड़ी है। कमलनाथ अपने प्रदेश में अपनी कांग्रेस खड़ी नहीं कर पाए। 230 सीटों पर जीतने क्या लड़ने की स्थिति के लायक प्रत्याशी उनकी लिस्ट में नहीं है। सारा शक्ति प्रदर्शन बस टिकट हासिल करने तक ही है। 'आंधी के आमों' के सहारे पूरी प्लानिंग चल रही है। सबको सिर्फ एक ही भरोसा है कि जनता सरकार से नाराज है, कहां जाएगी, कांग्रेस को ही वोट मिलेंगे। 

कम्प्यूटर बाबा गुट पर डोरे डाल रहे हैं कमलनाथ ? 

सवाल यह है कि क्या कमलनाथ अब कम्प्यूटर बाबा पर डोरे डाल रहे हैं। कम्प्यूटर बाबा ने जब इस्तीफा दिया तब शायद कमलनाथ ने उन्हे अंडर एस्टीमेट कर लिया था। कल जब इंदौर में संतों का समागम नजर आया तो लालच बढ़ गया। बयान जारी कर दिया ताकि कम्प्यूटर बाबा खुश हो जाए और फिर गठबंधन की बात की जा सके। 
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