मोदी सरकार ने 2 सरकारी कंपनियां NJMC और BJEL को बंद कर दिया | NATIONAL NEWS

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय की कंपनी नेशनल जूट मैन्युफैक्चरर्स कॉरपोरेशन लिमिटेड एवं बर्ड्स जूट एंड एक्सपोर्ट्स लिमिटेड को बंद करने का फैसला लिया है। यह निर्णय नरेंद्र मोदी मंत्री मंडल की बैठक में लिया गया। बता दें कि NJMC की स्थापना 1980 में की गई थी। इसके बाद इसी से संबद्ध कंपनी BJEL की स्थापना 2002 में की गई। सरकार का कहना है कि दोनों कंपनियां घाटे में चल रहीं थीं। इन कंपनियों को बंद करने से राजकोष का नुक्सान कम होगा। 

बंदी के लिए प्रक्रियाः
 i.     तयशुदा परिसंपत्तियों और चालू परिसंपत्तियों का निष्पादन 14/06/2018 के डीपीई के दिशा-निर्देशों के अनुसार होगा और देनदारियों को पूरा करने के बाद परिसंपत्तियों की बिक्री से हुई प्राप्तियां भारत की संचित निधि में जमा कराई जाएंगी।

ii.     14/06/2018 के डीपीई दिशा-निर्देशों के अनुसार परिसंपत्तियों के निष्पादन के लिए भूमि प्रबंधन एजेंसी (एलएमए) की सेवा ली जाएगी। एलएमए को निर्देश दिया जाएगा कि वह डीपीई दिशा-निर्देशों के अनुसार निष्पादन कार्य प्रारंभ करने से पहले परिसंपत्तियों का सम्पूर्ण रूप से सत्यापन करेगी।

iii.     वस्त्र मंत्रालय का बीजेईएल की किसी जमीन या भवन का उपयोग अपने लिए या अपनी  किसी सार्वजनिक प्रतिष्ठान के लिए करने का प्रस्ताव नहीं है तथा इसकी सूचना भूमि प्रबंधन एजेंसी को प्रत्यक्ष रूप से दी जाएगी।

पृष्ठभूमिः

i.     एनजेएमसी अनेक वर्षों से घाटे में चल रही है और 1993 से इसे बीआईएफआर को विचार के लिए भेजा गया है। कम्पनी का प्रमुख उत्पाद बोरी थी जिसका इस्तेमाल विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अनाज के पैकेजिंग के लिए की जाती थी। कई वर्षों से जूट की बोरी की मांग में कमी आ रही है और पाया गया है कि कम्पनी चलाने के लिए यह वाणिज्यिक रूप से लाभदायक नहीं है।

ii.     एनजेएमसी की मीलों- किनीसन मिल टीटागढ़, खरदा मील, खरदा तथा आरबीएचएम मील, कटिहार-के पुनरोद्धार का प्रस्ताव किया गया था और यह 2016 से स्थगित है, (अंतिम मील किनीसन जूट मील 31/08/2016 को बंद की गई) क्योंकि ठेकेदार कार्य क्षमता को लागू करने और स्थानीय श्रमिकों की समस्या सुलझाने में विफल रहा है। आउटसोर्सिंग के विभिन्न मॉडलों का लागू करने का प्रयास किया गया लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली। पहले के कार्य प्रदर्शन, बाजार की स्थितियों तथा प्लास्टिक से स्पर्धा और निजी जूट मीलों की क्षमता को देखते हुए यह पाया गया कि एनजेएमसी संचालन लाभों के माध्यम से अपनी ऋणात्मक शुद्ध संपत्ति को ठीक करने की स्थिति में नहीं है। एनजेएमसी के साथ कोई स्टाफ/श्रमिक नहीं है, इसलिए इसे बंद किया जाना चाहिए।

iii.          एनजेएमसी की सहायक कम्पनी बीजेईएल का मामला बीआईएफआर को भेजा गया, जिसनेपुनरोद्धार योजना पर विचार किया था। प्रारूप पुनरोद्धार योजना लागू नहीं की जा सकी, क्योंकि पश्चिम बंगाल सरकार भूमि उपयोग के परिवर्तन पर सहमत नहीं हुई और तीन वर्ष के विलम्ब के बाद भी एएससी में राज्य सरकार का प्रतिनिधि नामित नहीं किया गया। बीजेईएल में कोई स्टॉफ नहीं है। फैक्टरी का संचालन नहीं हो रहा है इसलिए इसके बंद करने से कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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