UP NEWS: नवजात शिशु की मौत, 3 डॉक्टरों के खिलाफ Sc/St-Act

नई दिल्ली। खबर उत्तरप्रदेश के लखीमपुरखीरी से आ रही है। यहां 3 डॉक्टरों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। बताया गया कि प्राइवेट अस्पताल में प्रसव के दौरान नवजात शिशु की मौत हो गई थी। अस्पताल ने शव सुपुर्द करने से पहले बकाया फीस मांगी तो प्रसव पीड़िता के परिजनों ने हंगामा कर दिया। अस्पताल प्रबंधन ने मामला दर्ज कराया तो बदले में 3 डॉक्टरों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करा दिया गया। 

क्या है मामला
सदर कोतवाली क्षेत्र के गांव भगवतीपुर में रहने वाले रामदयाल के भांजे राजेश की पत्नी की डिलीवरी होनी थी। उसको जब प्रसव पीड़ा हुई तो राजेश पत्नी को लेकर भगौतीपुर अपने रिश्तेदार के घर गया। जहां से उसको लालपुर के शिव अस्पताल में ले जाया गया। रामदयाल ने बताया कि यहां उससे बीस हजार रुपए मांगे गए और सर्जरी से डिलीवरी कराने की बात हुई। उसने 18 हजार रुपए जमा कर दिए। बाद में मालूम चला कि बच्चे की मौत हो चुकी है। इसी बात को लेकर हंगामा हुआ। आरोप है कि घरवालों ने बच्चे का शव मांगा, लेकिन डॉक्टरों ने शव देने से मना कर दिया और बच्चे के इलाज में खर्च हुए रुपए मांगने लगे। घरवालों का कहना है कि बच्चे की मौत पहले हो चुकी थी। इस मामले में चार दिन पहले अस्पताल की दिव्या त्रिपाठी की तहरीर पर हंगामा, तोडफोड़, मारपीट करने का मुकदमा दर्ज कराया। शुक्रवार को रामदयाल ने शिव अस्पताल के डॉक्टर राजेश यादव, अमित पांडेय और डॉ. दिव्या तिवारी के खिलाफ मारपीट और एससी-एसटी एक्ट का मुकदमा दर्ज करा दिया। 

विवाद के 4 दिन बाद क्यों दर्ज हुआ मामला
पुलिस ने डॉक्टर पक्ष से भगौतीपुर के पूर्व प्रधान रामदयाल, राजेश शहीद राम और सुशील कुमार के खिलाफ दर्ज कर लिया था। रामदयाल का कहना है कि उसने उसी दिन पुलिस को तहरीर दी थी, लेकिन उसका मुकदमा दर्ज नहीं किया गया था। पुलिस दावा कर रही थी कि रामदयाल ने उसको तहरीर नहीं दी है। शुक्रवार को रामदयाल ने पुलिस को फिर तहरीर दी। पुलिस ने शिव हॉस्पिटल के डॉक्टर राजेश यादव, दिव्या तिवारी और अमित पाठक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।

डॉक्टर ने क्या बताया
शिव हॉस्पिटल में चार दिन पहले हुए बवाल के दौरान बच्चे का शव घर वाले लाए या उसको हॉस्पिटल के डॉक्टरों में लाने नहीं दिया। इस पर अब भी सवाल बना हुआ है। घरवालों का दावा है कि डॉक्टरों ने उनको उनके बच्चे का शव नहीं दिया। इसी बात पर विवाद हुआ और उल्टे उनकी पिटाई की गई। डॉक्टरों ने खुद ही अपने हॉस्पिटल के शीशे तोड़ दिए और उनके ऊपर मुकदमा भी लिखा दिया। उधर डॉक्टर दिव्या तिवारी का कहना है कि घरवालों से सिर्फ पांच हजार की बात हुई थी। महिला की नॉर्मल डिलीवरी होनी थी। घरवालों ने सिर्फ एक हजार जमा किए थे। बाकी का पैसा वह देना नहीं चाहते थे। उनसे जब पैसे मांगे गए तो उन्होंने बवाल मारपीट शुरू कर दी। बच्चे का शव घर वाले ले गए थे। शव न देने की कोई बात ही नहीं थी।

वह दलित है, इसलिए एससी-एसटी एक्ट
पहले दिन तो हंगामे की सूचना मिली थी। उसमें दो लोगों का शांतिभंग में चालान किया गया। बाद में तीन ग्रामीणों के खिलाफ मारपीट, अभद्रता का मुकदमा दर्ज किया गया। अब दूसरे पक्ष का मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया है। वह दलित है, इसलिए एससी-एसटी एक्ट लगा है। फिलहाल मामले की जांच होगी।
आरके वर्मा, सीओ सिटी
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