फिर सामने आई कमलनाथ की BJP से दोस्ती, अभय की नियुक्ति से हुआ खुलासा | MP NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को 'रिश्ते बनाने वाला नेता' भी कहा जाता है। सब जानते हैं कि कमलनाथ के सीएम शिवराज सिंह सहित भाजपा के कई दिग्गज नेताओं से व्यक्तिगत रिश्ते रहे हैं। बसपा चीफ मायावती और दूसरी पार्टियों के नेताओं से भी कमलनाथ के गहरे संबंध हैं। लोकसभा में कई बार वो संबंधों की ताकत प्रदर्शित भी कर चुके हैं, लेकिन अब इन्हीं संबंधों पर सवाल उठने लगे हैं। मध्यप्रदेश में उनके द्वारा आनन फानन की गई एक नियुक्ति ने उन्हे विवादित कर दिया है। 

आपको याद होगा पिछले दिनों कमलनाथ ने कांग्रेस आईटी सेल के काम के प्रति गहरी नाराजगी जताई थी और फिर अल्टीमेटम भी दिया था। इसके बाद अल्टीमेटम पूरा होने से पहले ही आईटी सेल के अध्यक्ष धर्मेंद्र वाजपेई को हटाकर अभय तिवारी को बिठा दिया था। कमलनाथ द्वारा की गई इस आनन फानन नियुक्ति पर उस समय भी सवाल उठे थे। अब इन सवालों का रंग गहरा हो गया है। 

कमलनाथ के अभय तिवारी तो भाजपा के मित्र निकले
पता चला है कि कमलनाथ ने जिस अभय तिवारी को आईटी सेल का अध्यक्ष बनाया है वो भी भाजपा का मित्र है। तिवारी की एक एनजीओ चलती है​ जिसे भाजपा सांसदों ने फंडिंग की है। इसका खुलासा होने के बाद तिवारी इस बारे में  कुछ भी कहने से बच रहे हैं और उन्होंने मोबाइल फोन बंद कर दिया है। बताया जा रहा है कि अभय तिवारी सोसायटी फार अवेयरनेस एंड मोटीवेशन इन बेसिक आस्पेक्ट्स ऑफ लाइफ (संबल) नाम का एनजीओ चलाते हैं। तिवारी के इस एनजीओ को देवास- शाजापुर से सांसद मनोहर ऊंटवाल ने सांसद निधि से उनके क्षेत्र के स्कूलों में कंप्यूटर लगाने और प्रशिक्षण के लिए 1 करोड़ 20 लाख की राशि मिली। उज्जैन के सांसद चिंतामणि मालवीय ने भी उन्हें 48 लाख रुपए दिए हैं। भाजपा से राज्यसभा सांसद रहे मेघराज जैन ने भी स्कूलों में कंप्यूटर के लिए 60 लाख रुपए दिए।   

बैकफुट पर कांग्रेस, सवालों की जद में कमलनाथ 
चंद्रप्रभाष शेखर, उपाध्यक्ष कांग्रेस एवं संगठन महामंत्री का कहना है कि पार्टी के पास अभय तिवारी के भाजपा सांसदों से उपकृत होने की कोई तथ्यात्मक जानकारी नहीं है। इस तरह की कोई पुख्ता जानकारी आती है तो आगे कार्रवाई की जाएगी लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता कमलनाथ को अभय तिवारी की जानकारी ना हो। कमलनाथ के बारे में कहा जाता है कि वो किसी से मिलने से पहले उसकी पूरी कुंडली परखते हैं तो फिर नियुक्ति से पहले पड़ताल नहीं हुई होगी, यह बात कुछ हजम नहीं हुई। बड़ा सवाल यह है कि कमलनाथ ने क्या किसी गुप्त योजना के तहत यह नियुक्ति की थी। 
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