संकट है, राहुल बाबा के साथ | EDITORIAL by Rakesh Dubey

राहुल गाँधी बोल रहे हैं, लगातार बोल रहे हैं, परन्तु क्या बोल रहे हैं और जो बोल रहे हैं उसमें कितना सत्य और तथ्य है। एक यक्ष प्रश्न है। राहुल गांधी की बयानबाजी का रिकार्ड देखिये तो उनका उपहास एक बार नहीं कई बार उड़ा है। उनके तथ्यों के समर्थन में कोई आगे नहीं आता। एक बड़े दल के नेता के बयानों से तो आन्दोलन खड़ा हो जाना चाहिए, इसके विपरीत उनके बयान जो अब विदेश में दिए जा रहे है बेमेल दिखते है क्योंकि उनसे देश में वैसी हलचल नहीं होती, जो देश को दिशा दे सके।

उन्होंने विदेश में बार-बार दोहराया कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश को तोड़ने का काम कर रही हैं जबकि कांग्रेस देश को जोड़ने का काम करती है। उन्हें अपनी पार्टी का इतिहास समझना चाहिए। राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर हैं। जितनी परिपक्वता इस पद पर बैठने वाले व्यक्ति को दिखानी चाहिए, वह नजर नहीं आ रही बल्कि बचकाना हरकतों से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने का प्रयास करते दिखाई देते हैं।

अच्छा होता राहुल गांधी पहले भारत के इतिहास को जानते फिर तार्किक बातें करते।  वे विचार भी उधार लेते हैं कभी पी. चिदम्बरम, सुशील कुमार शिंदे और दिग्विजय सिंह के विचारों के अंशों को मिला कर वो जो कुछ कह रहे है  उस पद की प्रतिष्ठा के प्रतिकूल है, जिस पर वे आसीन है। उन्हें अब यह समझ में आ जाना  चाहिए कि कभी लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गले मिलकर, आंख मारकर और इराक के आतंकवाद का कारण बेरोजगारी बताकर देशवासियों को अपने पीछे चलने के लिए आकर्षित नहीं कर सकते। आईएस का आतंकवाद जेहादी विचारधारा है न कि बेरोजगारी। देश समझ नहीं पा रहा कि कमी राहुल में है या उनके सलाहकारों में।  उनके सलाहकार उन्हें स्वतंत्र चिन्तन का मौका नहीं दे रहे इससे उनकी छबि कुछ और ही बन रही है। अगर प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गांधी की दावेदारी का विश्लेषण करें तो वह नरेन्द्र मोदी के कद के बराबर कहीं से दिखाई नहीं देती। उसमें उनका दोष कम कांग्रेस में  भीतर- भीतर बहती परिवारवाद की विचार धारा का ज्यादा  है। कांग्रेस ने उनका कद उस मौके पर छांट दिया था जब वे विकल्प के रूप में तैयार हो सकते थे। देश को प्रतिपक्ष के नेता के रूप  में एक ऐसे व्यक्तित्व की तलाश है जिसका सोच राष्ट्र को दिशा दे सके। बेहतर होगा राहुल गांधी गंभीर होकर राजनीतिक परिपक्वता दिखाएँ और उस मंडली को राम- राम बोल दें जो उनके व्यक्तित्व को गंभीर नहीं होने दे रही। एक कहावत है “सलाह से नहीं, अध्ययन से व्यक्तित्व उभरता है।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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