नई दिल्ली। गुजरात राज्य में एक शहर है जूनागढ़। यहां एक चमत्कार हुआ है। हां इसे चमत्कार ही कहेंगे कि 400 बच्चे प्राइवेट स्कूलों से टीसी लेकर सरकारी स्कूल में पढ़ने के लिए आ गए हैं। यह चमत्कार हुआ है एक अध्यापक तरुण काटबामना के कारण। लोग अपने बच्चों को तरुण के हवाले कर रहे हैं। उनका विश्वास है कि तरुण के हाथ में उनके बच्चों का बेहतर भविष्य है।
इनोवेटिव टीचर का सम्मान मिल चुका है
तरुण काटबामना को अहमदाबाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट और और इनोवेटिव टीचर के तौर पर गुजरात एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग से सम्मान मिल चुके हैं। उन्होंने 2012 में स्कूल के प्रिंसिपल के तौर पर यहां ज्वाइन किया। उस समय उन्हें लगा कि यहां बच्चों की उपस्थिति बहुत कम है।
बच्चों को लेने घर-घर जाते थे
प्रिंसिपल तरुण बताते हैं, “मैं बच्चों को स्कूल तक ले आना चाहता था। इसलिए सुबह-सुबह उनके घर धमक जाता था। जो नहींं आना चाहते उन्हें भी जगा कर ले आता। फिर उन्हें नहलाते थे, गुडमार्निंग कहते थे। ये थोड़ा सा कड़ा लगने वाला आइडिया भी था। अभिभावकों को भी लगा कि टीचर बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित है, और फिर बच्चे भी आने लगे।
शनिवार को फिल्म दिखाते
बाद में उन्हें पता चला कि शनिवार को बच्चे पता नहीं किस कारण से नहीं आ रहे। उनका कहना है कि फिर उन लोगों ने बच्चों को हर शनिवार सिनेमा दिखाना शुरू कर दिया लेकिन हिस्सों में दिखाते थे। अगर बच्चे को पूरा सिनेमा देखना होता तो उसे अगले शनिवार को भी आना पड़ता।
कई इनोवेटिव काम भी किए
दिलचस्प है कि बच्चे प्लास्टिक के पैकेट में चिप्प खाते थे। प्लास्टिक न तो वातावरण के लिए ठीक था और न ही कैंपस के लिए। तरुण बताते हैं, “हमने बच्चों के लिए स्नैक्स बनाना शुरू कर दिया। प्रोटीन से भरपूर और जायकेदार। सेहत को नुकसान न पहुंचाने वाले ये स्नैक्स हम बच्चों को टोकन कीमत पर दे देते है। इसके अलावा हमने आयुर्वेदिक गुण वाले पौधे भी लगाए। इन्हे बुखार और कब्ज जैसी दिक्कतों से निपटने के लिए अभिभावकोंं को दिया जाता है। अब नतीजे सामने हैं।
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