सरकारी स्कूल टीचर ने वॉटर कैन से बनवाए टॉयलेट | swachh bharat Inspirational story

नई दिल्ली। इन दिनों सरकारी स्कूल टीचर की परिभाषा बदल गई है। सरकार का वो कर्मचारी जो राजनीति करता है, सरकारों के खिलाफ आंदोलन करता है और वेतन विसंगति या अन्य किसी समस्या के नाम पर स्कूल में सिर्फ हस्ताक्षर करता है। बच्चों को नहीं पढ़ता। लेकिन इस भीड़ में कुछ क्रिऐटिव लोग भी हैं। तमिलनाडु के विलुप्पुरम में स्थित सरकारी स्कूल के टीचर मुरुगेसन इसी श्रेणी में आते हैं। उन्होंने वॉटर कैन के इस्तेमाल से बच्चों के लिए यूरिनल (पेशाब करने के लिए टॉयलेट) बनवाए दिए। यह सरकारी स्कूल जिले के सेरानूर में है। यहां की कुल आबादी 1000 लोगों की है। इस क्रिएटिविटी को पीएम नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान में लिस्टेड किया जाना चाहिए। 

फ्री में कम्प्यूटर और आर्ट सिखाते हैं, स्किल डवलपमेंट क्लास भी लगाते हैं
दरअसल, शुरू से ही स्कूल के टीचर मुरुगेसन अपने छात्रों को कई सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयासरत रहे हैं। स्कूल में छात्रों के लिए सारी मूलभूत और जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं, इसके लिए वह अक्सर कोई न कोई सकारात्मक कदम उठाते हैं। कुछ दिनों पहले ही मुरुगेसन ने छात्रों के लिए यूरिनल टॉइलट बनवाए। खास बात यह है कि यूरिनल बनाने के लिए वॉटर कैन का प्रयोग हुआ है। यह टॉइलट लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। इतना ही नहीं मुरुगेसन छात्रों को फ्री कंप्यूटर की शिक्षा देते हैं और उन्हें आर्ट भी सिखाते हैं। वह हर एक छात्र की पसंद के अनुसार उसकी स्किल डिवेलप करने का प्रयास करते हैं। 

ऐसे आया आइडिया
वैसे स्कूल में बच्चों के लिए टॉइलट तो हैं। कुछ दिनों पहले टॉइलट में कुछ मैन्टिनेंस की समस्या आ गई। टॉइलट का प्रयोग बंद हो जाने के बाद छात्र इधर-उधर खुले में टॉयलेट जाने लगे। मुरुगेसन ने बताया कि उन्हें बच्चों की सेहत और सुरक्षा की चिंता होने लगी। वह परेशान हो गए। एक दिन मुरुगेसन ने यूट्यूब में एक विडियो देखा। विडियो को देखकर उन्हें स्कूल में बेकार वॉटर कैन के मदद से यूरिनल बनवाने का आइडिया आया। उन्होंने ऐसा ही किया। मुरुगेसन के दोस्तों और दूसरे टीचरों ने प्लास्टिक ट्यूब्स खरीदने के लिए दान दिया। कुछ दोस्तों ने खुद आगे आकर इस पहल में मदद की। सबकी मदद से बहुत ही कम खर्च में ये टॉइलट्स बन गए। इसकी खास बात यह है कि इन यूरिनल की सफाई बहुत ही आसान और सस्ती है।
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