सरकारी खजाना खाली, अब मोदी से मदद की उम्मीद | MP NEWS

भोपाल। 2003 में जब भाजपा ने मध्यप्रदेश की सत्ता संभाली तब प्रदेश पर 20 हजार करोड़ का कर्ज था। अब 1.83 लाख करोड़ का कर्जा हो गया है। यानी प्रति मतदाता करीब 36 हजार रुपए का कर्ज है। हालात यह बन गए हैं कि अब सरकार और ज्यादा कर्ज भी नहीं ले सकती। खजाना पहले से ही खाली है। मध्यप्रदेश पर ओवरड्राफ्ट का खतरा बढ़ गया है। बता दें कि ओवरड्राफ्ट की स्थिति में महंगाई बेतहाशा बढ़ जाती है। सीएम शिवराज सिंह सरकार को अब पीएम नरेंद्र मोदी सरकार से मदद की उम्मीद है। वित्तमंत्री जयंत मलैया निश्चिंत हैं। उनका कहना है कि जुलाई में केंद्र से 4000 करोड़ मिल जाएंगे। सवाल यह है कि इसके बाद क्या करेंगे। वित्तमंत्री कुतर्क देते हैं कि कांग्रेस के शासनकाल में भी ओवरड्राफ्ट हुआ है। सवाल यह है कि क्या लोग किसी भी गलत बात पर सवाल करना इसलिए छोड़ दें क्योंकि वो गलती कांग्रेस ने भी की थी। 

आज पत्रकारों से चर्चा करते हुए मलैया ने कहा कि मध्यप्रदेश को ओवरड्राफ्ट के खतरे से केन्द्र सरकार बचाएगी। 20 जुलाई को केंद्र से 4000 करोड रुपए प्रदेश को मिलेंगे। वर्तमान में मध्य प्रदेश में बेज एंड मीन के 465 करोड रुपए खर्च कर चुका है। निर्धारित सीमा से अधिक खर्च होने पर 16 सौ करोड़ रुपए की बीज एन्ड मीन की आरबीआई रिजर्व की सीमा है। पिछले दिनों वित्त विभाग के अधिकारियों ने सीएम शिवराज सिंह को स्पष्ट रूप से बता दिया था कि यदि हालात यही रहे कि आने वाले महीनों में कर्मचारियों को वेतन देने का पैसा भी नहीं बचेगा। 

वित्तमंत्री का कुतर्क
गले गले तक कर्ज में डूब जाने के बावजूद शिवराज सिंह सरकार वित्तीय वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में सरकार 4 हजार करोड़ रुपए का कर्जा उठा चुकी है। ओवरड्राफ्ट का खतरा मंडरा रहा है और वित्तमंत्री जयंत मलैया कुतर्क देते हैं कि कांग्रेस के शासनकाल में ओवरड्राफ्ट नहीं हुआ। उनका कहना है कि इस मामले में कांग्रेस को सवाल उठाने का अधिकार नहीं है परंतु अब तो अर्थशास्त्री भी सवाल उठाने लगे हैं। देश भर के आर्थिक प्लेटफार्म्स पर इसकी चर्चा शुरू हो गई है। सवाल यह है कि यदि कांग्रेस ने ओवरड्राफ्ट किया था तो क्या भाजपा को भी यह अधिकार मिल जाता है कि वो ओवरड्राफ्ट करे। वित्तमंत्री शायद भूल रहे हैं कि कांग्रेस की सरकार को सत्ता से बेदखल करने के पीछे एक बड़ा कारण ओवरड्राफ्ट ही था। 
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