अकेले JABALPUR में 50 करोड़ का भावांतर घोटाला! | MP NEWS

भोपाल। सीएम शिवराज सिंह की महत्वाकांक्षी भावांतर भुगतान योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है। अकेले जबलपुर में ही करीब 50 करोड़ का भावांतर घोटाला नजर आ रहा है। व्यापारियों ने पटवारियों से मिलकर उड़द और मूंग का करीब 28 हजार एकड़ा रकबा बढ़वा दिया और अपनी पुरानी उड़द और मूंग इस योजना के तहत खपा दी। स्वभाविक है सरकारी खजाने को मोटी चपत लगती है किसानों को कुछ भी हासिल नहीं होने वाला था। समय रहते इस घोटाले का खुलासा हो गया। जांच शुरू हो गई है। अब तक 5 पटवारी संदेह की जद में आ चुके हैं। कलेक्टर छवि भारद्वाज ने माना है कि भावांतर में गड़बड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि वह इसकी एसडीए स्तर से जांच कराएंगी। 

रकबा तीन गुना बढ़ा दिया, किसी ने ध्यान ही नहीं दिया
जबलपुर में पटवारियों ने किसानों से मिल बड़ी साजिश रची। हाल ही में सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर उड़द और मूंग को शामिल करने के ऐलान के बाद जबलपुर में अमूलचूल बदलाव नजर आया। आंकड़ों के मुताबिक जिले में उड़द और मूंग की पैदावार का रकबा अचानक तीन गुना बढ़ गया। यह करीब 16 हजार एकड़ था जो समर्थन मूल्य पर रकबे के भौतिक पंजीयन के बाद 44 हज़ार हेक्टेयर पहुंच गया। चौंकाने वाली बात यह है कि जिला स्तर पर इस तरफ किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। सबकुछ योजनाबद्ध तरीके से हुआ और अंत तक शायद चलता भी। 

भोपाल से लताड़ पड़ी तब कार्रवाई शुरू की
मामले में जब भोपाल से लताड़ पड़ी तो कलेक्टर ने पुनः रकबे के सत्यापन का आदेश दिया। राजस्व विभाग के अधिकारियों ने जब जांच कि तो दोबारा रकबा करीब 24 हज़ार हेक्टेयर पाया गया। फिर भी यह असल से करीब बहुत ज्यादा है जबकि कृषि विभाग ने इसी रकबे को 16 हज़ार हेक्टेयर बताया है। एक हेक्टेयर में करीब ढ़ाई एकड़ ज़मीन होती है और प्रति एकड़ करीब 5 क्विंटल उड़द मूंग होती है। वर्तमान में बाजार मूल्य प्रति हेक्टेयर मूंग का 5500 और उड़द का 3500 रुपये है यानि प्रति हेक्टेयर 17,500  मूंग जबकि 10,500 उड़द का होता है।

जबलपुर में इतना तो पूरे प्रदेश में कितना
शिवराज सिंह के नेतृत्व वाली मध्यप्रदेश सरकार करीब डेढ़ लाख करोड़ के कर्ज में है। भावांतर जैसी योजनाएं सरकारी खजाने को खाली करतीं हैं। सवाल यह है कि यदि अकेले जबलपुर में इतने बड़े पैमाने पर घोटाला हो गया तो पूरे मध्यप्रदेश में क्या हुआ होगा और कब से चल रहा होगा। क्या जरूरी नहीं है कि भावांतर योजना की शुरू से अब तक की जांच कराई जाए। 
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