चुनाव की पूर्व वेला, किसी को देश भक्ति की तरफ ले जा रही है तो कोई सब कुछ वो ही है का दावा कर रहा है। भारत में चुनाव के दौरान क्या नहीं होता ? यह तो अभी बानगी है। आगे आगे देखिये होता है क्या ? भारतीय जनता पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव को सम्पूर्ण देश में देश भक्ति का ज्वार पैदा कर विधान सभा और लोकसभा चुनाव के पूर्व हर घर पर तिरंगा फहराने का मंसूबा बांध रही है तो कांग्रेस राहुल गाँधी को तारनहार मान कर अपने कलेवर को राहुल गाँधी की मंशा के अनुरूप ढालने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस कार्यसमिति में दिग्विजय सिंह और जनार्दन द्विवेदी को जगह न देकर राहुल गाँधी ने एक संदेश दिया है कि “वो ही सब कुछ है।”
भारतीय जनता पार्टी, चार राज्यों- राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में विधानसभा चुनाव और 2019 के आम चुनाव से पूर्व मोदी सरकार के वर्तमान कार्यकाल के आखिरी स्वतंत्रता दिवस यानि 15 अगस्त 2018 से पूरे देश में देशभक्ति की अलख जगाने के लिए एक नया अभियान शुरू करने जा रही है। ‘हर घर तिरंगा, हर गांव तिरंगा’ इसके तहत सभी घरों में नि:शुल्क तिरंगा भेजने की तैयारी की जा रही है। अब नया नारा दिया गया है ‘साफ नीयत, सही विकास ; हर घर तिरंगा…..।’ भारतीय जनता पार्टी के नेता सीआर पाटिल ने ट्विटर पर यह शगूफा छोड़ा है। उनकी बात सही है कि स्वतंत्रता दिवस पर देश के हर नागरिक को अपने घर पर गर्व से तिरंगा फहराना चाहिए। लेकिन गर्व का यह भाव व्यक्ति में स्वत:स्फूर्त हो तो बेहतर है। भाजपा की नई घोषणा को एक नया जुमला भर समझा जा रहा है। प्रश्न यह है आखिर चार साल बाद क्यों इस अभियान को चलाने की याद आई या जरूरत समझी गई?
लगता है भाजपा ने 2016 में हुए एक सर्वे को आधार बनाया है। इस सर्वे का निष्कर्ष था कि वर्तमान में देश के 90 प्रतिशत से ज्यादा घरों में मोबाइल फोन है। इसका सहारा लेकर देश के करीब सभी घरों तक पार्टी की नीतियां तिरंगे के जरिए पहुंचाई जा सकेंगी। तिरंगा देने की प्रक्रिया भी तय कर दी गई है। इसके लिए केपिटल डॉट कॉम वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। वेबसाइट पर एक फार्म भरवाया जाएगा जिसमें आवेदक का नाम, पता, राज्य, फोन नम्बर जैसी जरूरी सूचनाएं भरनी होंगी। नाम रजिस्टर होते ही कुछ ही दिन में मुफ्त तिरंगा मिल जाएगा।
पार्टी की इस सोच का दूसरा पहलू यह भी है कि इस बहाने हर घर की जानकारी भी जुट जाएगी और पार्टी का एजेंडा भी तिरंगे के साथ पहुंच जाएगा। पार्टी को अगर साफ नीयत और सही विकास ही दिखाना है तो पहले हर गांव और हर घर की मूलभूल जरूरतें पूरी करनी होंगी। वर्तमान में ज्यादातर नागरिक बिजली, पेयजल, शौचालय, सडक़ और लोक परिवहन की समस्याओं से जूझ रहे हैं। आज भी 24 करोड़ लोगों के पास बिजली नहीं है, पेयजल सिर्फ 56 प्रतिशत घरों तक पहुंच पाता है।विडंबना ही कही जाएगी कि घरों में टॉयलेट होने के बावजूद तकरीबन 10 प्रतिशत लोग देश में आज भी खुले में शौच जाते हैं क्योंकि उनके यहां नल नहीं है। फिर क्या यह अभियान मात्र लोगों का डेटा जुटाने का जरिया भर नहीं होगा?
उधर राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि “मैं हर दबे-कुचले लोगों के साथ हूं। राहुल ने कहा, मैं पंक्ति में खड़े आखिरी शख्स के साथ खड़ा हूं। शोषित, वंचित, सताए हुए और हाशिए वाले लोगों के साथ हूं। उनका धर्म, जाति और मान्यताएं मेरे लिए कोई मायने नहीं रखते हैं। मैं दर्द मे डूबे हुए लोगों को ढूंढकर उन्हें गले लगाता हूं। मैं नफरत और डर को मिटाना चाहता हूं। मैं सभी जीवित प्राणियों से प्यार करता हूं। मैं कांग्रेस हूं। इन सब बातों और शगूफों का फैसला तो जनता को करना है, वो ही मालिक है।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।