राशिकें संविदा कर्मचारी: जब शर्तें और काम समान तो वेतन अलग-अलग क्यों

आबिद खान। राज्य शिक्षा केंद्र अंतर्गत राज्य,जिला एवं विकासखंड स्तर पर 2 तरह के कर्मचारी कार्यरत है - एक प्रतिनियुक्ति के कर्मचारी जिन्हें राज्य शासन वेतन भुगतान कर रही है। दूसरे है राज्य शिक्षा केंद्र (सर्व शिक्षा अभियान) अंतर्गत नियुक्त संविदा कर्मचारी जिनके वेतन का निर्धारण / भुगतान राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा किया जाता है। राज्य शिक्षा केंद्र अंतर्गत ही जहाँ एक ओर वर्ष 2012 के पूर्व इंटरव्यू, मेरिट से नियुक्त संविदा कर्मचारियों का वेतन निर्धारण एवं वृद्धि समकक्ष नियमित कर्मचारियों के वेतनमान / ग्रेड पे को आधार मानकर 6 वें वेतनमान के हिसाब से  किया जा रहा है। 

वही दूसरी तरफ 2012 के बाद राज्य शिक्षा केंद्र (सर्व शिक्षा अभियान) अंतर्गत ही व्यापमं से चयनित होकर नियुक्त किये गए संविदा कर्मचारियों (एम.आई.एस. समन्वयक, डाटा एंट्री ऑपरेटर, मोबाइल स्त्रोत सलाहकार, सहा.वार्डन ) के वेतन निर्धारण के लिए CPI इंडेक्स का नियम अपनाया गया है जो कि समकक्ष 2012 के पूर्व संविदा कर्मचारी के वेतन से आधा वेतन है। जोकि गलत है नियम विरुद्ध है और कही से भी न्यायसंगत नहीं है। 

जब 2012 के बाद नियुक्त संविदा कर्मचारियों के नियुक्ति आदेश में वही सेवा शर्ते ,वेतन वृद्धि नियम आदि का उल्लेख है जोकि 2012 के पूर्व नियुक्त संविदा कर्मचारियों के नियुक्ति आदेशों में उल्लेखित है तो फिर ये अलग अलग दोहरी नीति नियम क्यों लागू किये जा रहे है। जब समस्त संविदा कर्मचारी सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत ही नियुक्त है, सभी पर एक ही सेवा शर्ते, नियम लागू है तो फिर सिर्फ वेतन के लिए ही ये अलग अलग नियम बनाकर हमारे साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है।

हम 2012 के बाद नियुक्त किये गए समस्त संविदा कर्मचारी नहीं चाहते कि सारे साक्षों के साथ हमें कोर्ट जाना पड़ें क्योकि वहा हमें न्याय तो मिल जायेगा लेकिन बाहर हमारे अपने विभाग की छवि खराब होगी जो कि अभी तक एक दम साफ़ न्याय प्रिय रही है। इसलिए हम भोपालसमाचार.कॉम  के माध्यम से श्रीमान संचालक महोदय से निवेदन करते है कि हम भी आपके अपने कर्मचारी है हमें अपना मानते हुए हमारी समस्याओं का निराकरण करने का कष्ट करें | सादर !
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