
नोटिस मिलते ही करण बैंक पहुंचे। यहां पर वे शाखा प्रबंधक दीपक श्रीवास्तव ने मिले। करण ने उन्हें बताया कि उनके पिता की मौत अप्रैल 2014 में ही हो चुकी है। कागजातों में जगन्नाथ का वोटर कार्ड, राशन कार्ड और जमीन की ऋण पुस्तिका शामिल थी। पहला पता ग्राम भैरोपुर की जगह गांधी नगर और फोटो किसी और का लगा था। करण ने इसी आधार पर एक महीने पहले बागसेवनिया थाने में शिकायत की। उस दौरान बैंक के मैनेजर बुद्धदेव धुर्वे थे।
पुलिस ने जांच के बाद धुर्वे समेत अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी और कूटरचित दस्तावेज की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। पुलिस ने बैंक से बुद्धदेव की वर्तमान पदस्थापना की जानकारी मांगी है। करण ने आरोप लगाए कि बैंक ने फिजिकल वेरिफिकेशन तक नहीं किया। पता तो गलत लिखा ही है। फोटो भी किसी और की लगी है। यह फोटो 35 से 40 साल के युवक की है। करण का सवाल है कि पिताजी को बिना आवेदन के लोन दे दिया गया लेकिन उनके बैंक अकाउंट से आखिर रुपए कैसे निकल गए।
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