यह अफसरी हठ | EDITORIAL by RAKESH DUBEY

राकेश दुबे@प्रतिदिन। 26 जून को आने वाला फैसला देश के उन अफसरों के लिए नजीर होगा जो अपनी सम्पत्ति की सूचना सरकार को नहीं देना चाहते हैं। देश के हर प्रदेश में ऐसे अफसर मौजूद हैं जो सरकार की इस मांग को गलत ठहराते है और विभिन्न फोरमों पर चुनौती दे रहे हैं या दे चुके हैं। इनमें सबसे अधिक हरियाणा के 33 आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी हैं जो अपनी संपत्ति सार्वजनिक न करने पर अड़े हुए हैं। 9 वर्ष पुराना केस राज्य सूचना आयोग में विचाराधीन है। इस मामले की महत्वपूर्ण सुनवाई 29 जून को राज्य सूचना आयुक्त योगेंद्र पाल गुप्ता व हेमंत अत्री की डिवीजन बेंच करेगी। हरियाणा के कुल 69 में से 36 आईएएस ने अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने की सहमति वर्ष 2010 में सरकार को दे दी थी, जबकि 33 आईएएस ने मना कर दिया था। तब से केस सूचना आयोग में लंबित है। 

मुख्य सचिव कार्यालय से आरटीआई के माध्यम से हरियाणा प्रदेश के सभी आईएएस, आईपीएस, एचपीएस, एचसीएस अफसरों की संपत्ति का ब्योरा मांगा गया था। पुलिस मुख्यालय ने तो इस सूचना को देने से स्पष्ट मना कर दिया, जबकि सरकार ने सभी आईएएस अधिकारियों से इस बारे में उनकी राय मांगी थी। इस पर आईएएस अशोक खेमका, समीर माथुर, उमाशंकर, पीके दास, डा. जे गणेशन, डॉ. अमित अग्रवाल सहित कुल ३६  आईएएस ने संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने की सहमति सरकार को दे दी थी। 

आईएएस अशोक खेमका ने तो कैबिनेट सचिव व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को भेजे पत्र में कहा कि ईमानदार लोक सेवकों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने में कोई भय नहीं होना चाहिए। ऐसे कदमों से सार्वजनिक संस्थानों में पारदर्शिता व विश्वास को बढ़ावा मिलता है। वहीं, आईएएस सुप्रभा दहिया, विजय दहिया, अशोक लवासा, डॉक्टर चंद्रशेखर, सुनील गुलाटी, वीएस कुंडू सहित कुल 33 आईएएस ने अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने से स्पष्ट इंकार कर दिया था।  ऐसी ही स्थिति अन्य राज्यों में हैं, जहाँ इस या किसी अन्य मुकदमें की आड़ लेकर आला अफसर इस जानकारी को देने से बच रहे हैं।

फरवरी 2012 में हरियाणा राज्य सूचना आयोग की फुल बेंच ने इस केस की सुनवाई की थी, लेकिन राज्य सूचना आयोग ने जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक डीपी जांगड़ा की संपत्ति के ब्यौरे संबंधी याचिका हाईकोर्ट में लंबित होने का हवाला देकर सुनवाई अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी। इसी बीच हाईकोर्ट ने राज्य सूचना आयोग के डीपी जांगड़ा वाले केस में निर्णय को सही बताते हुए संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने के आदेश दे दिए। हरियाणा हाईकोर्ट का निर्णय नजीर बन गया है। अभी तक यह निर्णय ऐसे मामलों में अंतिम हैं। 26 जून का निर्णय देश के अफसरों की हठ को समाप्त कर सकता है और यह जानकारी सार्वजनिक होने की दशा में नये गुल खिला सकती है।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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