5 लड़कियों का गैंगरेप, प्राइवेट पार्ट में पिस्तौल डाली, ईसाई धर्मगुरु ने कहा सब भूल जाओ

खूंटी/झारखंड। यहां के कोचांग में नाटक मंडली की पांच लड़कियों के साथ दुष्कर्म मामले में पुलिस ने शुक्रवार को दो केस दर्ज किए हैं। एक केस अड़की और दूसरा खूंटी के महिला थाने में दर्ज किया गया है। स्टॉपमन मेमोरियल स्कूल के प्रभारी और सचिव फादर अल्फांसो आईंद के खिलाफ भी नामजद केस दर्ज किया गया है। फादर पर अपनी सिस्टरों को बचाने, लड़कियों को दुष्कर्मियों के साथ जाने से न रोकने अौर पुलिस को सूचना नहीं देने का आरोप है। साथ ही, पुलिस ने 4-5 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। उधर, एक पीड़िता ने बताया कि हम लोग गिड़गिड़ाने लगे, माफी मांगी कि अब कभी इस गांव में नहीं आएंगे लेकिन वे रुके नहीं। फादर ने भी हमारी मदद नहीं की। उन्होंने सिर्फ सिस्टर को बचाया।

पुलिस ने कहा- फादर ने नहीं बचाया:

खूंटी के एसपी अश्विनी सिन्हा ने बताया- "पुलिस ने शुक्रवार को कोचांग स्थित स्कूल जाकर जांच की। फादर अल्फांसो आईंद समेत तीन लोगों से पूछताछ की गई। पुलिस की जांच में सामने आया कि अपराधी सिस्टर्स को ले जा रहे थे। तब फादर ने उन्हें कहा कि ये नन हैं इन्हें न ले जाएं। वहीं, लोगों को जागरूक करने गई नाटक मंडली की लड़कियां गिड़गिड़ाती रही, पर फादर ने उन्हें नहीं बचाया।" 

पांच बाइक सवार लड़कों ने हमे घेर लिया: 

"मंगलवार 19 जून को दोपहर 12:30 बजे होंगे। हम लोग कोचांग के स्टॉपमन मध्य विद्यालय में बच्चों के बीच नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर रहे थे। अभी 15 मिनट ही हुए थे कि दो बाइक पर सवार पांच लोग वहां पहुंचे। इन सभी की उम्र 25 के आसपास थी। एक लड़के ने इशारा कर नाटक रोकने को कहा और हमें अपने पास बुलाया। वहां फादर और दो सिस्टर सादे लिबास में उपस्थित थे। बाइक से आए युवकों ने हमें घेर लिया। पूछताछ करने लगे कि कहां से आए हो, क्या कर रहे हो।"

बदमाश मनमानी करते रहे फादर चुप रहे

"वे बोले-पुलिस की मुखबिरी करते हो। पुलिस ने ही तुम लोगों को यहां भेजा है मुखबिरी करने के लिए। हम लोगों ने कहा कि हमारा काम सिर्फ लोगों को जागरूक करना है। इसके बदले हमें पैसा मिलता है। इतना सुनते ही तीन युवकों ने पिस्टल निकाल ली और धमका कर गाड़ी में बैठने को कहा। बोले-हम लोग जांच करेंगे कि तुम पुलिस के लोग हो या नहीं, तभी छोड़ेंगे। हमने विरोध किया तो कहा कि गोली मार देंगे। तुम लोगों को नहीं मालूम कि इस एरिया में बिना पूछे आने की अनुमति नहीं है। इस क्षेत्र में हमारे आदेश के बिना सरकार भी नहीं आ सकती। इस दौरान फादर और दोनों सिस्टर चुप रहे।"

फादर के कहने पर नन को छोड़ गए अपहरकर्ता

"बाहर देखा एक लाल और एक नीली रंग की बाइक लगी है। नंबर प्लेट पर पेपर चिपका था। युवकों ने हम लोगों को उसी गाड़ी में बैठने को कहा जिससे हमारी टीम वहां पहुंची थी। एक युवक ने वहां खड़ी दोनों सिस्टर को भी गाड़ी में बैठने के लिए कहा, तभी वहां खड़े फादर ने कहा कि शी इज नन, इन्हें छोड़ दो। बाइक से आया युवक हमारी गाड़ी खुद चलाने लगा। एक बाइक गाड़ी के आगे और एक पीछे चल रही थी।"

हम चीख रहे थे, वो निर्दयी नौंच रहे थे

स्कूल से निकलने के आधा घंटा बाद हमलोग एक जंगल में पहुंचे। वहां पहुंचने के बाद पुरुष साथी को गाड़ी में ही बैठा दिया गया। हम पांचों युवतियों को वे कुछ दूर आगे जंगल में ले गए। इसके बाद मारपीट करने लगे और कपड़े उतारने को कहा। हम लोग गिड़गिड़ाने लगे, माफी मांगी कि अब कभी इस गांव में नहीं आएंगे। दो युवकों ने हम पर पिस्टल तान दी और धक्का देकर दो युवतियों को जमीन पर गिरा दिया। जबरन कपड़े उतरवाए। इसके बाद उनकी दरिंदगी शुरू हो गई। सभी हमारे ऊपर टूट पड़े और दुष्कर्म करना शुरू कर दिया। हमारे रोने का भी उनपर कोई असर नहीं पड़ा।"

चार घंटे तक जानवरों जैसा सलूक किया: 

"दर्द से हमलोग कराह रहे थे, तभी एक युवक ने पेड़ से एक डाली तोड़ी और एक लड़की के नाजुक अंग में डाल दिया। एक युवक ने पिस्टल मेरे नाजुक अंग में डाल दिया। पास में खड़ा दूसरा युवक खैनी बना रहा था, उसने मेरे अंग में खैनी डाल दी। करीब चार घंटे तक उन लोगों ने जानवरों जैसा सलूक किया। इस दौरान उन लोगों ने हमारे ही मोबाइल से हमारा वीडियो बनाया और फोटो खींची।

हमारे साथियों से कहा- थूक कर चाटो:

हमारे साथ जो पुरुष साथी थे उन्हें भी पीटा और कहा कि थूक कर चाटो, ताकि दोबारा यहां आने की हिम्मत न हो। युवकों ने कहा कि तुम लोगों को सबक सिखाना जरूरी था, ताकि यहां आने से पहले पुलिस भी कांप उठे। इसके बाद हमें गाड़ी में बैठाया और स्कूल के पास लाकर छोड़ दिया। 

फादर ने कहा जो हुआ उसे भूल जाओ

हम स्कूल पहुंचे तो सारी बात फादर और सिस्टर को बताई। उन्होंने कहा कि यह सब यहीं भूल जाओ। बात बाहर जाएगी तो मीडिया में फैल जाएगी। पुलिस को सूचना मिलेगी तो वे भी तुम्हे परेशान करेगी और अपराधियों को पता चलेगा तो तुम लोगों की जान भी जा सकती है। सिस्टर ने हम लोगों को गाड़ी में बैठाया और हम लोग खूंटी आ गए। मैं इतना परेशान थी कि घर आकर खुद को कमरे में बंद कर लिया। आत्महत्या करने का मन हो रहा था, लेकिन हिम्मत कर अगले दिन यह बात एक दीदी को बताई। उन्होंने हिम्मत दी और इसकी जानकारी पुलिस के बड़े अधिकारी को दी गई।

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