छात्र ने शिवराज से पूछा: मामा, आपकी नीतियां जातिवादी क्यों हैं

भोपाल। सीएम शिवराज सिंह द्वारा एड्रेस किए जा रहे कैरियर काउंसिलिंग कार्यक्रम 'हम छू लेंगे आसमां' में एक छात्र ने उनसे वही सवाल पूछ लिया जो आधा मध्यप्रदेश पूछ रहा है। उसने पूछा कि सरकार की नीतियों में जातिवाद क्यों होता है। उसने कहा 'मामा पढ़ाई में जाति मत देखिए, इससे जनरल कैटेगरी के विद्यार्थियों का नुकसान हो रहा है, हमें लैपटॉप नहीं मिल रहा है। सीएम शिवराज सिंह के पास इसका कोई तर्कसम्मत जवाब नहीं था। उन्होंने पॉलिटिकल आंसर किया, कहा: वर्षों तक जो लोग पीछे रह गए, अगर उन्हें कुछ दिया जा रहा तो उसे स्वीकार किया जाना चाहिए। बेटे मेधावी विद्यार्थी योजना में फीस माफी और लैपटॉप देने की योजना हर विद्यार्थी के लिए है। थोड़ा विशाल और विराट हृदय रखो और बड़ा सोचो। कार्यक्रम भोपाल के टीटी नगर स्थित मॉडल स्कूल में आयोजित किया गया था। 

सरकार के कैरियर काउंसिलिंग कार्यक्रम 'हम छू लेंगे आसमां' में 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा में 70 फीसदी अंक हासिल करने वाले छात्र कार्यक्रम में शामिल हुए। कई विद्यार्थियों ने मुख्यमंत्री से सवाल किया और सीएम ने सभी सवालों के एक-एक करके जवाब दिए। इसके पहले छात्रों को सीएम ने संबोधित किया। 

सरकारी नौकरियों के पीछे मत भागो, कारोबारी और कालाकार बनो

सीएम शिवराज सिंह ने कहा ज़्यादातर बच्चे केवल आईएएस, डॉक्टर, इंजीनियर बनने का सपना देखते हैं। जबकि कई युवाओं ने छोटी-सी शुरूआत करके भी लाखों, करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी, बड़े उद्यमी बन गये। जिसे कविता लिखने में मज़ा आये, जिसे संगीत तैयार करने में आनंद आये, उसे आप एग्रीकल्चर पढ़ाएं, तो क्या वह सफल हो पायेगा। कॅरियर चुनते समय अपनी रुचि का ध्यान रखें। अपनी रुचि का ही विषय पढ़ें। कुल मिलाकर शिवराज सिंह ने छात्रों को मोटिवेट किया कि वो सरकारी नौकरियों के पीछे ना भागें बल्कि कारोबारी या कलाकार बनें। 

सरकारी नौकरियों के लिए सरकार पर है दवाब

बता दें कि बेरोजगारों को सरकारी नौकरियों के लिए सरकार पर काफी दवाब है। सीएम शिवराज सिंह ने 2013 में ऐलान किया था कि हर साल संविदा शिक्षक की भर्ती होगी परंतु 2011 के बाद से एक भी बार भर्ती नहीं हुई। सरकारी नौकरियों के लिए 2013 के चुनाव प्रचार में जो भी ऐलान किए गए थे सब अधूरे रह गए। अब मध्यप्रदेश में बेरोजगारों की एक बड़ी फौज बन चुकी है। विभागों में हजारों पद भी खाली हैं परंतु भर्तियां नहीं की जा रहीं हैं। सरकार अब नई भर्तियां करने में कंजूसी कर रही है। वोट प्रभावित ना हों इसलिए कैरियर काउंसिलिंग कार्यक्रम शुरू कर दिया है। 

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