
मध्यप्रदेश के मुख्यसचिव बीपी सिंह 22 साल पुराने 19 लाख रुपए के घोटाले के मामले में गवाही देने आए थे। जब ये कांड हुआ, तब मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग नहीं हुआ था। बीपी सिंह दुर्ग में कलेक्टर थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वर्ष 1996 में अंत्यायवसायी विभाग के तहत कर्ज लेकर अनुदान में घपला करने का मामला उजागर हुआ था। इसमें 14 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें तत्कालीन कलेक्टर बीपी सिंह को स्वतंत्र गवाह बनाया गया था।
इससे पहले मुख्य सचिव दोपहर करीब 1 बजे विशेष सुरक्षा में कोर्ट पहुंचे। बताया जा रहा है कि दुर्ग में मुख्य सचिव के आगमन को लेकर स्थानीय प्रशासन अलर्ट था। मुख्य सचिव ने कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया। चूंकि वो दोबारा नहीं आ सकते थे अत: उसी समय क्रॉस भी किया गया। बचाव पक्ष के वकील ने उनसे कई सवाल पूछे। दुर्ग में बीपी सिंह के बयान के बाद यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।