
इंदरगढ़ पुलिस ने लड़की के माता-पिता के विरुद्ध मुकजमा दर्ज कर विवाह सम्मेलन के आयोजकों और नाबालिग रीना का बालिग के तौर पर सर्टिफिकेट बनाने वाले डॉ. खरे के विरुद्ध जांच शुरु कर दी है.वहीं फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाला डॉक्टर कह रहा है कि मुझे कुछ याद नहीं आ रहा है. लेकिन बालिग होने का प्रमाण-पत्र किसी आधार पर ही बनाया होगा.
ररुआराय के बीरसिंह परिहार और उसकी पत्नी पुक्खनबाई की एक बेटी नाबालिग होने के साथसाथ में विकलांग भी है। चूंकि विकलांग की शादी के लिए शासन ढाई लाख रुपए देता है इसलिए बीरसिंह ने ढाई लाख के लालच में शादी करने का निश्चय कर लिया। सामूहिक विवाह सम्मेलन में विगत 11 अप्रैल को रीना की शादी धर्मेन्द्र परिहार से करवा दी गई। चूंकि शादी के लिए बालिग होना जरुरी था। इसलिए सामूहिक विवाह सम्मेलन के आयोजकों से मिलकर डॉक्टर वीएस खरे से सांठगांठ कर ली। डॉक्टर ने रीना को बालिग होने का प्रमाण पत्र बना दिया।
इधर लड़की शादी के बाद 5 मई को अपने प्रेमी विवेक जाटव के संग भाग गई। पिता ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दी। जब रीना बरामद हुई तो उसने पुलिस को अपनी मार्कशीट दिखाई कि वह तो नाबालिग है। अब पिता कह रहा है कि वह पढ़ा लिखा नहीं है। आयोजकों ने ही फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया था। डॉक्टर का कहना है कि इस मामले में मुझे कुछ याद नहीं। पुलिस ने डॉक्टर के खिलाफ जांच शुरू कर दी है जबकि फर्जी सर्टिफिकेट बनवाने के आरोप में लड़की के माता पिता को गिरफ्तार कर लिया गया है। आयोजकों के खिलाफ किसी भी तरह की जांच शुरू नहीं की गई है।