नई दिल्ली। फेसबुक के जरिए लोगों की पर्सनल लाइफ में सेंधमारी की खबरों के बीच एक नई खबर आई है। बताया जा रहा है पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत के 15 लाख एनसीसी कैडेट्स का पर्सनल डेटा मंगवाया है। नेशनल कैडेट कॉर्प्स (एनसीसी) ने विधिवत आदेश जारी करके यह जानकारी मांगी और 80 प्रतिशत जानकारी जुटाई जा चुकी है। अब इसे लेकर विवाद शुरू हो गया है। कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताई है। कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रभारी दिव्य स्पंदना ने इसे चोरी का एक नया तरीका बताया है।
कौन जुटा रहा है कैडेट्स का डाटा?
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, कुछ समय पहले नरेंद्र मोदी ने एनसीसी डीजी ले.ज. बीएस सारस्वत से मुलाकात की थी। एनसीसी डीजी ने पिछले महीने सभी स्टेट डायरेक्टोरेट को एनसीसी कैडेट्स के मोबाइल नंबर, ईमेल एड्रेस जुटाने के आदेश दिए। इसमें यह भी बताया गया कि डाटा पीएमओ को भेजना है। स्टेट डायरेक्टोरेट 80% कैडेट्स का डाटा जुटा चुके हैं। बता दें कि एनसीसी रक्षा मंत्रालय के अंडर में काम करती है। यह देश की सबसे बड़ी स्वयंसेवी संस्था है। एनसीसी की स्थापना 1948 में की गई थी।
मोदी क्या करेंगे इस डेटा का
15 लाख युवाओं की पर्सनल जानकारियां जुटाने की प्रक्रिया के बीच बताया जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी एनसीसी कैडेट्स से सीधे संवाद करना चाहते हैं। यह किस तरह से होगा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, फोनकॉल, ईमेल, कोई मोबाइल एप या कुछ और स्पष्ट नहीं किया गया है।
क्या दुरुपयोग भी हो सकता है
यदि यह डेटा केवल पीएमओ तक रहा तो कोई दुरुपयोग नहीं हो सकता लेकिन यदि इस डेटा की सेकेंड कॉपी किसी पॉलिटिकल पार्टी या ऐसे किसी संगठन को दे दी गई जो किसी विशेष उद्देश्य के लिए काम करता है तो दुरुपयोग हो सकता है। इस डेटा के जरिए एक साथ 15 लाख युवाओं को भड़काया जा सकता है, मिसगाइड किया जा सकता है। ब्रेनवॉश करने का प्रयास किया जा सकता है।
क्या पीएम को अधिकार है इस तरह डेटा जुटाने का
बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत के प्रधानमंत्री को अधिकार है कि वो सरकारी योजनाओं या संस्थाओं से जुड़े स्वतंत्र नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी जैसे फोन नंबर, मोबाइल नंबर, ईमेल एड्रेस या कुछ और मांग सकते है। क्या इसके लिए आदेश जारी किए जा सकते हैं। या ऐसे आदेश का पालन करने के लिए भारत के स्वतंत्र नागरिकों को बाध्य किया जा सकता है।