
वही अध्यापक संगठनों का कहना था कि सबसे पहले मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को अध्यापकों के पुराने शिक्षा विभाग में मूल पदों पर संविलियन सातवां वेतनमान और नियमित शिक्षकों के समान सभी सेवा शर्तों के साथ संविलियन आदेश जारी करना चाहिए उसके बाद ही अध्यापक संवर्ग को शिक्षा विभाग के कर्मचारी के रूप में मान्यता देकर अटेंडेंस प्रणाली में ऑनलाइन उपस्थिति लगाने को बाध्य किया जाए।
ज्ञापन पत्र में मुख्य रूप से शिक्षकों को मोबाइल सेट बैलेंस और ग्रुप सुविधा शासन द्वारा मुहैया कराए जाने की पुरजोर मांग की गई और कहा गया कि केवल शिक्षा विभाग पर ही अटेंडेंस जबरन थोपना न्याय और समानता का व्यवहार है। वे चाहते हैं कि सभी विभागों के सभी अधिकारी और कर्मचारियों पर समान रूप से एम शिक्षा मित्र का प्रयोग करने के आदेश जारी हो मंत्रालय से लेकर सचिवालय तक के अधिकारी और कर्मचारी भी इसके लिए तैयार हो उन्हें इस ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली से मुक्त ना रखा जाए और साथ ही शिक्षकों के तमाम संवर्गों की समस्त जायज मांगों की पूर्ति करने के बाद ही एम शिक्षामित्र एप डाउनलोड करने के लिए कहा जाए।
शिक्षा विभाग के कर्मचारी नेताओं का कहना था कि ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल सिग्नल बिजली और नेटवर्क प्रॉब्लम होने के कारण कई बार शिक्षक समय पर पहुंचने के बावजूद उपस्थिति दर्ज नहीं करवा पाएंगे और उनका वेतन काटा जाएगा।