
3 जुलाई 2009 को याचिकाकर्ता अन्य होमगार्ड सैनिकों के साथ मंदसौर में चुनाव ड्यूटी पर तैनात था। इस दौरान कुछ विवाद हो गया। इस सिलसिले में याचिकाकर्ता सहित उसके 9 अन्य साथियों पर शराबखोरी, मारपीट और गालीगलौच का आरोप लग गया। इसे गंभीरता से लेकर अधिकारी ने बिना कोई नोटिस दिए एकपक्षीय तरीके से बर्खास्त कर दिया। चूंकि ऐसा करना नैसर्गिक न्याय-सिद्घांत के विपरीत है, अतः हाईकोर्ट की शरण ली गई।
बाकी के 9 सेवा में बहाल तो याचिकाकर्ता क्यों नहीं
सवाल उठता है कि जब शराबखोरी, मारपीट और गालीगलौच के आरोप में नौकरी से साथ में निकाले गए 9 अन्य होमगार्ड सैनिक सेवा में लिए जा चुके हैं, तो याचिकाकर्ता को अकेले समूचा दंड क्यों? 19 मई 2014 को होमगार्ड डीजी ने अभ्यावेदन निरस्त कर दिया। इसी रवैये को याचिका में चुनौती दी गई है।