भोपाल। जेपी अस्पताल की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मंजू माथुर की ओवरकांफीडेंस के कारण 2 दिन पहले जन्मे नवजात की मौत हो गई। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने जेपी अस्पताल की एसएनसीयू बिल्डिंग पर हमला कर दिया। वो डॉ. मंजू माथुर की तलाश कर रहे थे। जब गार्ड, नर्स और वार्डबॉय ने उन्हे रोकने की कोशिश की तो भीड़ ने उन्हे भी पीट दिया। अस्पताल में मौजूद सभी डॉक्टर डर के मारे भाग गए। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है परंतु भीड़ ने डॉ. मंजू माथुर से बदला लेने का ऐलान किया है।
भीड़ में शामिल युवक अस्पताल की महिला चिकित्सक द्वारा दो दिन पहले नवजात बच्चे को भर्ती करने से इनकार करने के बाद उसकी मौत से नाराज थे। उनका कहना था कि यदि बच्चे को उस वक्त भर्ती कर लिया जाता तो शायद उसकी जांन बच सकती थी। वे डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगा रहे थे। इसी के चलते वे शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मंजू माथुर को तलाशने हुए एसएनसीयू पहुंचे थे। जब उन्हें डॉ. मंजू नहीं मिलीं तो उन्होंने स्टाफ और कर्मचारियों के साथ मारपीट शुरू कर दी। अस्पताल अधीक्षक डॉ. आईके चुघ ने वार्ड में कर्मचारियों से मारपीट करने वाले चार लोगों के खिलाफ हबीबगंज थाने में मामला दर्ज कराया है।
अस्पताल में हंगामा और सुरक्षा गार्ड से मारपीट की सूचना मिलने पर हबीबगंज पुलिस ने उपद्रवियों को शिशु रोग और मेटरनिटी वार्ड से बाहर निकाला। अस्पताल के कर्मचारियों की शिकायत पर पुलिस ने पंचशील नगर में रहने वाले चार लोगों के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज किया है।
इसलिए नाराज थे परिजन
पंचशील नगर निवासी निकिता पगारे ने 28 फरवरी को जेपी में बच्चे को जन्म दिया था। दो मार्च को उनकी छुट्टी कर दी गई। सोमवार को बच्चे को उल्टी-दस्त होने लगे। परिजन मंगलवार को बच्चे को जेपी ले गए। एसएनसीयू में मौजूद चिकित्सक डॉ. मंजू ने जांच के बाद बच्चे को घर ले जाने को कहा। हालांकि परिजन उसे भर्ती करने पर जोर दे रहे थे तो डॉक्टर ने कहा कि उसे भर्ती करने की जरूरत नहीं है। घर पहुंचते ही बच्चे की नाक से खून बहने लगा। अस्पताल लाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पहले बच्चे की मां को कराया भर्ती, फिर 20 लोगों ने किया हंगामा
अस्पताल अधीक्षक डॉ. आईके चुघ ने बताया कि मंगलवार को नवजात बच्चे की हुई मौत के मामले में उसके परिजनों को बातचीत के लिए बुलाया था। नवजात की मां को कमजोरी से चक्कर आ रहे थे। उन्होंने महिला को मेटरनिटी वार्ड में जांच और इलाज कराने भेजा था। तभी उनके साथ आई 20 लोगों की भीड़ ने सुरक्षा गार्ड और कर्मचारियों से मारपीट शुरू कर दी। बताते हैं कि भीड़ एसएनसीयू में पदस्थ डॉक्टर को ढूंढ रही थी। उनका कहना था कि अगर डॉक्टर बच्चे को भर्ती कर लेती तो उसकी मौत नहीं होती। उनकी लापरवाही के कारण ही हमारा बचा नहीं रहा। ऐसे में वार्डों में मौजूद डॉक्टर इधर-उधर छुपते रहे।