नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने 'एक देश, एक चुनाव' के संदर्भ में अपनी स्टडी रिपोर्ट पीएम नरेंद्र मोदी को सौंप दी है। इसमें 2 बड़े सवालों के जवाब दिए गए हैं। यदि 5 साल से पहले किसी सांसद या विधायक की मृत्यु हो जाती है या फिर वो अयोग्य घोषित हो जाता है या किसी अन्य कारण से वो सीट खाली हो जाती है तो ऐसी स्थिति में क्या करेंगे। क्या उपचुनाव कराए जाएंगे ? और दूसरा यदि सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया या किसी अन्य कारण से सरकार भंग हो गई तो क्या होगा। क्या मध्यावधि चुनाव कराए जाएंगे।
देश में एक साथ चुनाव कराने के विचार पर पब्लिक डिबेट की अध्यक्षता करने वाले बीजेपी उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि बीजेपी और सरकार का मानना है कि सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाते हुए विपक्षी पार्टियों को अगली सरकार के समर्थन में विश्वास प्रस्ताव भी जरूर लाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'ऐसे में समय से पहले सदन भंग होने की स्थिति को टाला जा सकता है। इसके अलावा उपचुनाव के केस में दूसरे स्थान पर रहने वाले व्यक्ति को विजेता घोषित किया जा सकता है। यानी की उपचुनाव नहीं होंगे, मुख्य चुनाव में जो निकटतम प्रतिद्वंदी होगा उसे विधायक या सांसद मान लिया जाएगा।
भाजपा और आरएसएस ने कड़ी मेहनत की
पिछले साल नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी और अपने काडर से इस बात पर विमर्श खड़ा करने को कहा था कि देश में एक साथ चुनाव कराए जाने चाहिए। एक साथ चुनाव कराने का आशय लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का विचार है। इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी समूह ने भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर एक सेमीनार का आयोजन किया, जिसमें 16 विश्वविद्यालयों और संस्थानों के 29 अकादमी सदस्यों ने इस विषय पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
सेमीनार में राजनीतिक दलों के 24 प्रतिनिधियों, कानूनी और संविधान विशेषज्ञों ने भी इस विषय पर अपनी राय रखी. एक बीजेपी नेता ने कहा कि 26 राज्यों के 210 डेलीगेट्स ने इस सेमीनार में हिस्सा लिया। इसके साथ ही हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार, संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, जेडीयू लीडर केसी त्यागी और बीजेडी के पूर्व नेता बैजयंत पांडा भी शामिल हुए।