
शुक्रवार 30 मार्च को सीएम शिवराज सिंह ने अचानक इसका ऐलान किया था। मुख्यमंत्री चौहान ने प्रेस से मिलिये कार्यक्रम में यह घोषणा की थी। चौहान ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय में पदोन्नति में आरक्षण का मामला विचाराधीन होने के कारण प्रदेश सरकार के कर्मचारी और अधिकारी पदोन्नत नहीं हो पा रहे हैं। हम नहीं चाहते हैं कि कर्मचारी बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हों, इसलिये कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष करने का निर्णय लिया है।
खजाना खाली है इसलिए बढ़ा दी सेवा अवधि
राजनीति के समीक्षक श्रीमद डांगौरी का कहना है कि इन दिनों मप्र सरकार का खजाना खाली है। इतने सारे कर्मचारियों के पेंशन प्रकरण निपटाना संभव नहीं था। एक कर्मचारी के रिटायर होने पर सरकारी खजाने से औसत 20 लाख रुपए कम हो जाते हैं। इस बात पर लंबे समय से विचार चल रहा था। सीएम शिवराज सिंह सेवा अवधि बढ़ाने के पक्ष में नहीं थे इसलिए लास्ट मिनट तक उन्होंने इसे रोककर रखा परंतु जब वित्तीयवर्ष समाप्ति पर आया और तो मजबूरन सीएम को यह घोषणा करनी पड़ी और नए वित्तीय वर्ष से पहले ही आदेश जारी कर दिए गए।