विक्रम संवत्‌ 2075: अच्छी वर्षा होगी, व्यापार बढ़ेगा लेकिन नेताओं में संघर्ष भी बढ़ेगा | JYOTISH

उज्जैन। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा गुड़ी पड़वा पर 18 मार्च को विक्रम संवत्‌ 2075 का आरंभ होगा। इस बार 'विरोधकृत' संवत्सर रहेगा, जिसके राजा सूर्य तथा मंत्री शनिदेव होंगे। 10 सदस्यीय मंत्रीमंडल में 7 विभाग शुभ ग्रहों के पास रहेंगे। इनमें सूर्य के पास 2, चंद्रमा के पास 3 तथा शुक्र के पास 2 विभाग होंगे। ज्योतिषियों के अनुसार मंत्रीमंडल का वर्षफल देखें तो इस बार समय पर वर्षा होगी। धान्य का उत्पादन श्रेष्ठ रहेगा। बाजार में तेजी से व्यापार उन्नति करेगा। भ्रष्टाचार का उन्मूलन होगा। भ्रष्ट अधिकारियों पर गाज गिरेगी। सत्य, प्रगति तथा धर्म के लिए अनुकूल स्थिति निर्मित होगी।

ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार जिस दिन संवत्सर का आरंभ होता है, उस दिन का अधिपति संवत्सर का राजा कहलाता है। मैदिनी ज्योतिष शास्त्र की गणना से इस बार रविवार के दिन नव संवत्सर का आरंभ हो रहा है। इसलिए इस वर्ष के राजा सूर्य होंगे। मंत्री शनि तथा अन्य विभागों पर चंद्र, शुक्र, बुध, गुरु का आधिपत्य रहेगा। इन ग्रहों का प्रभाव वर्ष में अलग-अलग रूप में नजर आएगा। जनमानस को शांति, प्रगति की अनुभूति के साथ बाजार की तेजी-मंदी से विपरीत परिस्थितियों का समाना भी करना पड़ेगा।

ऐसा रहेगा ग्रहों का प्रभाव
राजा सूर्य- प्रदूषण का प्रभाव बढ़ेगा। दूध पदार्थों के भाव बढ़ेंगे। बाजार में तेजी आएगी।
मंत्री शनि- आमजन शासकीय नीतियों से असंतुष्ट नजर आएगा। शासन-प्रशासन व निम्न अधिकारियों के बीच तालमेल की कमी रहेगी। जनता में परिश्रम की अधिकता रहेगी।
सस्येश चंद्रमा- देश के अधिकांश क्षेत्रों में मेघों की कृपा बरसेगी। समाज का श्रेष्ठि वर्ग आमजन के सम्मान, संस्कार व मर्यादा का ध्यान रखेगा। प्रजा सुख-संपन्नता का आधार धर्म आध्यात्म में ढूंढेगी।
धान्येश सूर्य- राजनीतिक दलों में वर्चस्व का प्रभाव दिखाई देगा। शीतकालीन फसलों में प्राकृतिक आपदा की आशंका रहेगी।

मेघेष शुक्र- वर्षा का आरंभ समय पर होगा। हालांकि बीच में बारिश की खेंच से चिंता उभरेगी। लेकिन पर्याप्त वर्षा होगी। जिसका असर उत्तम खेती के रूप में नजर आएगा। सरकार की जन-धन योजनाओं के कारण विकास के काम नजर आएंगे।
रसेश बुध- घी, धान्य तथा रस पदार्थों की सुलभता बनी रहेगी। समय-समय पर शासन की नीति से प्रजा को लाभ होगा।
नीरसेस चंद्र- सफेद रंग की वस्तुएं जैसे चावल, ज्वार, लहसुन, कपास, साबूदाना, रवा-मैदा, वस्त्र, मोती, चांदी आदि के कारोबार में मध्यम तेजी होगी। इससे व्यापार में फायदा होगा।

फलेश गुरु- प्रजा में धार्मिकता का बोध होगा। प्राचीन विद्या का प्रभाव तथा महत्व बढ़ेगा। देश में इनके प्रचार-प्रसार के लिए माहोल तैयार होगा। बुद्घिजीवी वर्ग प्रसन्नता का अनुभव करेंगे। देश में महत्वपूर्ण मसलों को सुलझाने में धर्मचार्यों का मार्ग दर्शन मिलेगा।
धान्येश चंद्र- व्यापार-व्यवसाय की दृष्टि से भारत के विभिन्न देशों से नए अनुबंध होंगे। व्यापारिक क्षेत्रों का विस्तार होगा। उद्योगपतियों और कारोबारियों के लिए लाभ के मार्ग खुलेंगे।

चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र नवरात्र का आरंभ होगा। भक्त देवी आराधना में लीन होंगे। इस बार नवरात्रि 8 दिन की रहेगी। शक्तिपीठ हरसिद्धी सहित नगर के प्राचीन देवी मंदिरों में दर्शनार्थियों का तांता लगेगा।

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