
जर्मनी जाने का सपना
अपनी पढ़ाई पूरी कर जर्मनी में बसने का सपना देखने वाली स्नेहा कॉलेज से लौटने के बाद सीधे दुकान पर पहुंचती हैं और पति का हाथ बंटाती हैं। दुकान पर पराठों के साथ-साथ डोसा और ऑमलेट भी बनते हैं।
ऑरकुट पर हुआ था प्यार
दोनों की मुलाकात ऑरकुट पर हुई थी और शादी करके साथ जिंदगी बिताने के बारे में सोच लिया। लेकिन मुश्किल यह थी कि प्रेमशंकर झारखंड के रहने वाले हैं और स्नेहा महाराष्ट्र की। दोनों के घरवाले इस शादी के लिए राजी ही नहीं हो रहे थे। उन्होंने अपने घरवालों को मनाने की सारी कोशिश कर डाली लेकिन वे नहीं माने। आखिर में थक हारकर दोनों ने अपने घरवालों की मर्जी के बगैर शादी करने का फैसला कर लिया।
डॉक्टरल फेलोशिप मिली थी
प्रेमशंकर उन दिनों दिल्ली में नौकरी करते थे। स्नेहा का मन पढ़ाई में लगता था इसीलिए वह पीएचडी करने की तैयारी कर रही थी। स्नेहा को रिसर्च के लिए केरल यूनिवर्सिटी से पोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप मिल गई। स्नेहा की फेलोशिप के पैसे जब खत्म हो गए तो प्रेम ने परांठा की दुकान शुरू कर दी। ताकि स्नेहा की पीएचडी में कोई मुश्किल न आए।