EE केदारीलाल: बिना नौकरी 75 लाख कमाए | NATIONAL NEWS

ग्वालियर। ग्वालियर में एक सरकारी एक्जिक्यूटिव इंजीनियर ने भ्रष्ट अफसरशाही से जंग लड़कर कोर्ट के आदेश पर घर बैठे ही 75 लाख रुपये की कमाई की है। शख्स की मांग है कि ये राशि उन अधिकारियों से वसूल की जाए जिन्होंने उसे झूठे मामले में फंसाया। केदारीलाल वैश्य, शिवपुरी पीएचई में सरकारी एक्जिक्यूटिव इंजीनियर के पद पर तैनात थे। इसी दौरान वैश्य पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा और विभागीय कार्रवाई करते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। उन्होंने सरकार के इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी। वकीलों की फीस बहुत ज्यादा थी इसलिए उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई की और वकील बनकर इंसाफ की लड़ाई लड़ी। लम्बी लड़ाई के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने केदारीलाल के पक्ष में फैसला सुनाया है। 

अफसरों ने इसलिए फंसाया था इंजीनियर को
वैश्य के मुताबिक शिवपुरी में अपनी तैनाती के दौरान वे सहायक इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे। इस दौरान उन्होंने नल के अवैध कनेक्शन काटने का अभियान चलाया जिसकी चपेट में जिले के प्रशासकीय अधिकारी भी आ गए। इसी खुन्नस में अधिकारियों ने उन्हें फंसा दिया।

वैश्य का कहना है कि उनके इस अभियान के तहत पूर्व डीएसपी लोकायुक्त रामलखन सिंह भदौरिया और निरीक्षक अनिल कुमार कुशवाह के निवास पर चल रहे अवैध नल कनेक्शन भी काट दिये गये। जिसके बाद उन्हें अनुपातहीन संपत्ति के मामले में गिरफ्तार कर तीन दिन जेल में रखा लेकिन, उनके विभाग ने इस मामले पर जांच की स्वीकृति ये कहते हुए नहीं दी थी कि उनके पास कोई अनुपातहीन संपत्ति नहीं है।

इसके बाद भी नाराज अधिकारियों ने विधि विभाग को भ्रमित कर जांच की स्वीकृति ले ली। वैश्य का आरोप है कि इसके बाद लोकायुक्त न्यायधीश ने उनसे पांच लाख रुपये की रिश्वत मांगी और रिश्वत नहीं देने पर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया लेकिन, बाद में न्यायधीश को दोषी मानते हुए सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।

इंसाफ के लिए वैश्य ने किया कठिन संघर्ष
केदारीलाल वैश्य ने इंसाफ हासिल करने के लिए लंबा संघर्ष किया। वैश्य 15 साल से बर्खास्त थे। उन्हें ये बिल्कुल भी मंजूर नहीं था कि उनके ईमानदार करियर पर कोई दाग लगे। वैश्य ने फैसला लिया कि वे खुद अपना संघर्ष करेंगे। यही वजह थी कि वैश्य ने अपना ये केस खुद लड़ने का फैसला लिया और अधिवक्ता बनकर सुप्रीम कोर्ट तक जाकर अपने हक की लड़ाई में जीत हासिल की। सुप्रीम कोर्ट ने वैश्य के निलंबन और बर्खास्तगी की लंबी अवधि के मुआवजे के तौर पर 75 लाख रुपये देने के आदेश दिए हैं।

अब चाहते हैं आरोपी अफसरों पर ये कार्रवाई
वैश्य को उनका करियर बर्बाद होने के मुआवजे के तौर पर 75 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर मिले हैं। लेकिन, वे चाहते हैं कि उन्हें मिलने वाली इस राशि की वसूली उन अफसरों से की जाए जिन्होंने उन्हें षड़यंत्रपूर्वक फंसाया। 

वैश्य का कहना है कि भ्रष्टाचार में संलिप्त अफसर ईमानदार कर्मचारियों को परेशान कर उनकी नौकरी तक छीनने की कोशिश करते हैं। इन्हीं अफसरों की वजह से शासन को 75 लाख रुपये वैश्य को देने होंगे जबकि उन्होंने इसके लिए कोई काम भी नहीं किया। इसके साथ ही वैश्य की मांग है कि उन्हें हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में जो जलालत सहनी पड़ी उसके लिए उन्हें आठ करोड़ का मुआवजा भी दिया जाए।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !