NARENDRA MODI के आॅफिस से घोटाले के सबूत गायब: BHASKAR EXCLUSIVE

नई दिल्ली। भ्रष्टाचार के मामले में खुद को बेदाग बताने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार पर बड़ा आरोप लगा है। हिंदी अखबार दैनिक भास्कर ने खुलासा किया है कि पीएम नरेंद्र मोदी के आॅफिस (PMO) से घोटाले के सबूत गायब हो गए हैं। यह घोटाला बिरला ग्रुप (BIRLA GROUP) की हिंडाल्को (HINDALCO) समेत कुछ कंपनियों से संबंधित है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि जिस अधिकारी ने इस घोटाले की जांच कर पीएमओ में रिपोर्ट सबमिट की पहले तो उसके खिलाफ एक फर्जी मुकदमा दर्ज कराया गया और अब उसकी ड्यूटी चेन्नई में बिजली पानी के बिल जमा करने के लिए लगा दी गई है। चौंकाने वाली दूसरी बात यह भी है कि 28 दिसम्बर 2017 की सुबह इस मामले का खुलासा हुआ और रात 10:40 बजे तक पीएमओ की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। पत्र सूचना कार्यालय भारत सरकार द्वारा बताया गया है कि आज पीएमओ की तरफ से कोई रिलीज जारी नहीं किया गया। 

लेबर इन्फोर्समेंट अफसर पवन कुमार ने रांची में अपनी पदस्थापना के दौरान बिरला ग्रुप की हिंडाल्को समेत कुछ कंपनियों में 6 करोड़ के ग्रेच्युटी स्कैंडल को उजागर किया था। इस मामले की रिपोर्ट बदलने के लिए अफसर पर जानलेवा हमला हुआ। उसके बाद उसका ट्रांसफर करा दिया गया। तबादले के इस खेल में भाजपा और कांग्रेस दोनों शामिल हैं। इस सब के बीच ना तो उस स्कैंडल पर कोई एक्शन लिया गया जिसकी रिपोर्ट उसने पीएमओ को सौंपी थी, और ना ही उस शिकायत पर जिसमें उसने पीएमओ से ही लेबर के इंटरनल करप्शन के जांच की मांग की थी।

आरटीआई में जब पूछा तो पता चला कि जो डॉक्यूमेंट उन्होंने पीएमओ को सबमिट किए थे, वह कहीं गुम हो गए हैं। इसलिए, ढाई साल पुराना यह मामला पिछले महीने ही बंद कर दिया। अब उसे कोर्ट से इंसाफ की उम्मीद है।

पवन की कहानी- झूठा केस, 2 बार ट्रांसफर, जानलेवा हमला
जेएनयू के स्टूडेंट पवन कुमार बतौर लेबर इन्फोर्समेंट अफसर 2006 में श्रम विभाग में तैनात हुए। 2015 में रांची पोस्टिंग के दौरान पीएमओ के कहने पर उन्होंने न्यूनतम मजदूरी और रिटायर्ड इम्प्लाॅई के ग्रेच्युटी में धांधली की जांच की। इसकी रिपोर्ट उन्होंने पीएमओ को सौंपी। रिपोर्ट में यह लिखा था कि धनबाद में बॉक्साइट माइन करने वाली बिरला ग्रुप से जुड़ी हिंडाल्को इंडस्ट्री समेत कुछ कंपनियां मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी नहीं दे रही। कुल मिलाकर 6 करोड़ की सीधी गड़बड़ी थी। अक्टूबर में पवन ये पीएमओ को रिपोर्ट दी, उसके बाद दिसंबर में पीएओ को पत्र लिख कर इस मामले की हाई लेवल जांच की गुजारिश की थी।

ट्रांसफर पर स्टे: करप्शन सीनियर का जांच जूनियर को सौंपी
गलत ट्रांसफर और डिपार्टमेंटल करप्शन की जांच के लिए 19 जनवरी 16 को पीएमओ को लिखा। फरवरी में दत्तात्रेय ने ट्रांसफर पर स्टे दे कर उन्हें रांची भेजा। डिपार्टमेंटल मामले में चीफ लेबर कमिश्नर अनिल कुमार नायक की जांच एडिशनल चीफ लेबर कमिश्नर जेके सागर को सौंपी। सागर ने कंप्लेंट निराधार बताई।

ऐसे शुरुआत: पहले फंसाया: एससी-एसटी एक्ट का झूठा मामला दर्ज, तबादला किया
पवन के पीएमओ को रिपोर्ट सौंपते ही रांची के रीजनल लेबर कमिश्नर ने उनके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट में एफआईआर दर्ज करा दी। इसे आधार बना कर रांची के बीजपी सांसद राम टहल चौधरी, कांग्रेस के दाे राज्यसभा सांसद, प्रदीप बालमुचु और धीरज साहू ने तत्कालीन श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय को उनके तबादले करने के लिए पत्र लिख दिया। क्लीनचिट के बावजूद 15 जनवरी 16 को पवन का तबादला चेन्नई कर दिया।

आरटीआई में पीएमओ ने बताया-दस्तावेज खो गए
इस बीच 30 जनवरी 2016 को पवन ने करप्शन के डॉक्यूमेंट के पीएमओ को फिर लेटर लिखा। पीएमओ से जवाब नहीं आया तो पवन ने आरटीआई फाइल कर जानकारी मांगी। जवाब मिला कि डॉक्यूमेंट खो गए। पवन ने फिर कंप्लेंट की लेकिन पीएमओ ने लेबर मिनिस्टरी के पहले की रिपोर्ट पर ही 25 नवंबर को मामला बंद कर दिया।

सबकुछ मिनिस्टर के कहने पर हुआ
पवन ने पीएमओ को लेटर लिख लेबर डिपार्टमेंट के चीफ लेबर कमिश्नर अनिल कुमार नायक के खिलाफ जांच की मांग की थी। भास्कर ने जब इस मामले में नायक से बात की तो उन्होंने कहा- पवन का ट्रांसफर नियम के तहत और तब के मिनिस्टर के कहने पर किया गया है। करप्शन के आरोप बेबुनियाद हैं। करप्शन की जांच जूनियर अफसर को साैंपने पर नायक ने फिर बंडारू दत्तात्रेय का ही नाम लिया। चेन्नई में पवन कुमार को सौंपी गई जिम्मेदारी की बात पर भी नायक ने चुप्पी साध ली।

भास्कर के सवाल पर पीएमओ भी मौन
भास्कर ने जब दस्तावेज खोने और जूनियर अफसर से करप्शन की जांच पर पीएमओ से उनका पक्ष जानना चाहा। अधिकारियों ने सीधे बात करने से मना कर पीएमओ pro.pmo@gov.in व dprpmo@gmail.com पर ईमेल करने के लिए कहा। भास्कर रिपोर्टर ने 25 दिसंबर को ईमेल किया, लेकिन Dec 28, 2017, 08:32 AM IST तक कोई जवाब नहीं आया।

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