भोपाल। बायोमीट्रिक वेरिफिकेशन के दौरान फिंगर प्रिंट मैच ना होने के कारण परीक्षा से वंचित कर दिए गए 20 अभ्यर्थियों को फिर से परीक्षा देने का मौका दिया गया है। ये सभी वो परीक्षार्थी हैं जिनके फिंगर प्रिंट स्पष्ट नहीं आ रहे थे और विशेषज्ञ सरकारी डॉक्टरों ने लिखकर दे दिया था कि बीमारी या अन्य किसी कारण से कुछ समय तक इनके फिंगर प्रिंट नहीं आएंगे। अब इन सभी को आखों की जांच के माध्यम से प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। याद दिला दें कि भोपाल समाचार डॉट कॉम ने परीक्षा शुरू होने से पहले ही बता दिया था कि सर्दियों का मौसम होने के कारण फिंगरप्रिंट की समस्याएं बढ़ जाएंगी क्योंकि इस मौसम में त्वचा में काफी बदलाव आते हैं।
कैसे कैसे मामले
जबलपुर के ज्ञानगंगा इंस्टीट्यूट में एक युवती के फिंगरप्रिंट इसलिए नहीं आए क्योंकि कुकर की भाप से उसका हाथ जल गया था।
राजधानी के अयोध्या नगर एक्सटेंशन कॉलोनी में रहने वाले 29 साल के अशोक कुमार यादव को सर्दियां में हथेली और उंगलियों की त्वचा उखड़ने की परेशानी होती है।
सिंगरौली जिले के परसौना निवासी नीरज कुमार जायसवाल को एलर्जी है।
यह मौसमी समस्याएं हैं
मौसम बदलने पर त्वचा का उखड़ना एक प्रकार का चर्म रोग है, जिसे सोरायसिस कहते हैं। काफी हद तक यह अनुवांशिक होता है और शरीर में कहीं भी हो सकता है। कभी-कभी किसी-किसी को यह अचानक भी हो जाता है। यदि यह हथेली में है तो इससे सिर्फ उसी वक्त फिंगरप्रिंट अस्पष्ट होंगे, ठीक होते ही फिर से सामान्य हो जाते हैं। एक बात स्पष्ट है कि फिंगरप्रिंट कभी बदलते नहीं हैं। यदि त्वचा उखड़ गई है या कट लग गया है तो दोबारा जब त्वचा आएगी, फिंगरप्रिंट का पैटर्न वही रहेगा।
डॉ. अनुराग तिवारी, त्वचा रोग विशेषज्ञ