BJP में दिग्गजों का दंगल: संगठन के लोग नंदकुमार से नाराज | mp news

शैलेन्द्र सरल/भोपाल। भाजपा कितना भी ढांकने की कोशिश करे परंतु फटाकुर्ता तो दिख ही जाता है। मप्र भाजपा में एक बार फिर दिग्गजों का दंगल शुरू हो गया है। एक तरफ हैं सीएम शिवराज सिंह चौहान और नंदकुमार सिंह चौहान जबकि दूसरी तरफ सुहास भगत, अतुल राय और वीडी शर्मा जैसे संगठन के जमीनी नेता। टंटे की जड़ है नंदकुमार सिंह चौहान। संगठन के लोग नंदकुमार सिंह चौहान से अब काफी नाराज हैं और उन्हे बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं जबकि सीएम शिवराज सिंह चौहान, नंदकुमार सिंह को संरक्षण दे रहे हैं। हालात यह हैं कि एक ही आॅफिस से 2 भाजपा का संचालन हो रहा है। एक आदेश यहां से जारी होता है तो दूसरा वहां से। एक मौका ये लपक ले जाते हैं तो दूसरा वो। अटेर और चित्रकूट के बाद मुंगावली और कोलारस में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है। 

अटेर में अरविंद भदौरिया की हार और चित्रकूट में मुख्यमंत्री की पसंद के विरुद्ध टिकट का वितरण विवाद का बड़ा कारण बन गया है। अब मुंगावली कोलारस में उपचुनाव हैं। प्रदेश भाजपा में वरिष्ठ नेताओं के बीच की खींचतान को देखते हुए इसकी कमान अरविंद भदौरिया और रामेश्वर शर्मा को दी गई है। साथ ही प्रभात झा और नंदकुमार सिंह भी जुटे हैं। दिग्गजों के दंगल की खबर दिल्ली तक पहुंच चुकी है। प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने सीएम हाउस में सबको ​बुलाकर अनुशासन का पाठ भी याद दिला दिया है परंतु दंगल में दिग्गज अब भी टिके हुए हैं। 

नंदकुमार की निष्ठाओं पर सवाल
नागपुर और पार्टी आलाकमान तक यह बात पहुंचाई गई है कि नंदकुमार सीएम के भौंपू की तरह काम कर रहे हैं। उनकी प्रतिबद्धता भी संगठन के प्रति कम सीएम के प्रति ज्यादा है। सत्ता की तरफ उनके झुकाव के कारण संगठन की छवि पर अंगुली उठने लगी है। बता दें कि नंदकुमार सिंह को खंडवा से बुलाकर सीएम शिवराज सिंह ने ही प्रदेश अध्यक्ष बनवाया था। अब नंदकुमार सिंह भी शिवराज सरकार के प्रवक्ता की तरह बात करते हैं। संगठन का उनका रिश्ता ना पहले कभी था ना अब है। 

विवादों की छोटी लिस्ट, बड़ा तनाव
मुंगावली और कोलारस में चित्रकूट की टीम को चुनाव का काम नहीं दिया गया। 
चित्रकूट चुनाव के समय नंदकुमार सिंह की सभाएं प्रॉपर तरीके से नहीं कराई गईं जबकि मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष के रोड-शो कराए गए। 
चित्रकूट में सीएम शिवराज सिंह की पसंद का उम्मीदवार नहीं उतारा। 
अतुल राय और वीडी शर्मा ने सारी कमान अपने हाथ में रखी। 
टीवी चैनलों पर केवल नंदकुमार के पसंदीदा पैनलिस्टों को ही भेजा गया। 
प्रदेश अध्यक्ष और संगठन मंत्री ने कभी साथ मेें प्रवास नहीं किया। 
नंदकुमार ने अपनों के नाम के लिए मोर्चे की लिस्ट लटकाई। 
कुछ मोर्चा प्रकोष्ठों में नंदकुमार सिंह को दरकिनार कर दिया गया। 
If you have any question, do a Google search

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!