
अभियोजन अनुसार 6 सितंबर 2014 को लोकायुक्त पुलिस में एक लिखित शिकायत पेश कर फरियादी ने बताया था कि किस्त जमा न करने पर उसकी गाड़ी उठा ली गई थी। गाड़ी छोड़ने के बदले 5 हजार की रिश्वत मांगी जा रही थी। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी को 5 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था।
जांच के बाद आरोपी के खिलाफ विशेष न्यायाधीश की अदालत में चालान पेश किया था। विशेष न्यायाधीश ने गवाहों के बयान और मौजूद दस्तावेजों के आधार पर आरोपी को रिश्वत लेने के मामले में दोषी मानते हुए 4 साल की जेल और जुर्माने की सजा सुनाई।