नोटबंदी के बाद BITCOIN में जा छुपा भारत का लाखों करोड़ रुपए कालाधन | BLACK MONEY

उपदेश अवस्थी/नई दिल्ली। भारत के बड़े अफसरों का कालाधन अब उनके घरों में दीवारों के भीतर या गद्दे, तकिया और सोफे में नहीं मिलेगा। वो जमीन और मकानों की शक्ल मेें भी नहीं मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अचानक की गई नोटबंदी के बाद भ्रष्ट नौकरशाहों ने अपना कालाधन बिटकॉइन में कंवर्ट कर दिया है। अब उन्हे कोई समस्या नहीं, क्योंकि बिटकॉइन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहुंच से काफी दूर है। यही कारण है कि बिटकॉइन के दाम अचानक आसमान छूने लगे हैं। पिछले 1 साल में बिटकॉइन की कीमत में 900 प्रतिशत का उछाल आया है। फिलहाल बाजार में 1 बिटकॉइन की कीमत करीब 65000 रुपए हैं। अमेरिकन डॉलर में इसकी कीमत 10 हजार डॉलर है। 

भारत के नौकरशाहों ने क्या किया
हायर क्वालिफाइड नौकरशाहों को बिटकॉइन के बारे में पहले से ही पता था परंतु वो इसे अनसेफ मानते थे। कुछ भ्रष्ट अफसरों ने पहले भी बिटकॉइन खरीद रखे थे। 8 नवम्बर 2016 को जैसे ही प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का ऐलान किया, काले कारोबारियों ने सबसे पहले तो पुराने नोटों को बदलकर नए नोट हासिल किए और फिर काली कमाई का एक बड़ा हिस्सा बिटकॉइन में लगा दिया। कारण स्पष्ट था बिटकॉइन में रिस्क है लेकिन वो नरेंद्र मोदी की नोटबंदी जैसी रिस्क से काफी कम है। यही कारण है कि 1 साल में बिटकॉइन के दाम 900 प्रतिशत बढ़ गए। 

क्या है बिटकॉइन
यह एक ऐसी वर्चुअल करेंसी है जो पूरी दुनिया में धमाल मचाए हुए है। भारत में बिटकॉइन को मान्यता नहीं है। लेकिन फिर भी भारतीय लोग इसमें निवेश कर रहे हैं। बिटकॉइन, यूनिकॉर्न और कॉइनबेस से ऑनलाइन खरीदे जा सकते हैं। इसमें केवाईसी के लिए पता और पैन कार्ड की जरूरत होती है लेकिन बिटकॉइन से सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि ये एक अन-रेगुलेटेड करेंसी है। इसमें अकाउंट हैक होने का भी खतरा है। वहीं इसमें पासवर्ड भूलने पर दोबारा नहीं मिलता ये भी ध्यान रखने की जरूरत है।

कब से हुई शुरूआत
बिटकॉइन की शुरूआत भी रहस्यमय तरीके से 2009 में हुई, जब सातोशी नाकोमोतो के नाम से किसी व्यक्ति या ग्रुप ने इसे लॉन्च किया। लेकिन लोकप्रिय होने के बाद जैसे वो गायब हो गया। लेकिन ये अपने इंटरनल लॉजिक से आज भी चल रहा है।

कैसे होता है कारोबार
एक ओपन डाटाबेस पर इसे कई लोग मिलकर कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिए ये करेंसी तैयार करते हैं, इस पर ट्रांजैक्शन करने का अधिकार दूसरों को देते हैं। इन्हें माइनर्स कहा जाता है। बैंकों की तरह कई कंपनियां बिटकॉइन के एक्सचेंज और वॉलेट चलाती हैं। भारत में भी 20 से ज्यादा स्टार्टअप्स इस काम में लगे हैं। बिटकॉइन की कीमत बहुत तेजी से गिरती और चढ़ती रही है।

अपराधियों और सटोरियों में लोकप्रिय
बिटकॉइन ऐसे कंप्यूटर कोड होते हैं जिनपर हर ट्रांजैक्शन के साथ एक डिजिटल सिग्नेचर जुड़ता जाता है। फिर भी इससे बिना अपनी पहचान बताए ट्रांजैक्शन किया जा सकता है। इसलिए ये कारोबारियों के साथ आजादी पसंद लोगों, युवा टेक्नो एंथुजियास्ट, सट्टेबाजों और क्रिमिनल्स में काफी पाप्युलर है। हाल में रैनसमवेयर साइबर अटैक करने वालों ने भी पीड़ितों से बिटकॉइन में ही फिरौती मांगी थी।

खतरे भी बहुत हैं
बिटकॉइन में निवेश का खतरा अधिक है। इसमें कीमत में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है। बिटकॉइन न तो कमोडिटी है और न ही करेंसी बल्कि इसे समझना काफी मुश्किल है। दुनियाभर में बिटकॉइन के लिए कोई रेगुलेशन नहीं है। बिटकॉइन में फ्रॉड होने का खतरा है और इसे पॉन्जी स्कीम के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। बिटकॉइन रेगुलेटेड करेंसी नहीं है। पासवर्ड भूलने पर दोबारा पासवार्ड नहीं मिलेगा। इसमें अकाउंट हैक होने का भी खतरा अधिक होता है।

भारत सरकार केवल रायशुमारी कर रही है
बिटकॉइन ने सारी दुनिया में हंगामा मचा दिया। भारत का लाखों करोड़ रुपए का कालाधन बिटकॉइन में कंवर्ट हो गया और भारत सरकार फिलहाल रायशुमारी कर रहा है कि आखिर बिटकॉइन के बारे में क्या किया जाए। वो जनता से सुझाव मांग रहे हैं। भारत सरकार ने इसकी मौजूदा स्थिति, रेगुलेशन की गुंजाइश और खतरों की पड़ताल करने के लिए कई सरकारी वित्तीय संस्थाओं से लोगों को लेकर एक कमिटी बनाई है और अब लोगों से भी इसपर सुझाव मांगे हैं। सरकार ने पूछा है कि वर्चुअल करेंसी को बैन किया जाए, रेगुलेट किया जाए या सिर्फ निगरानी की जाए? सरकार ने लोगों से इसपर MYGOV.IN पर विस्तार से सुझाव मांगे हैं।

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