
नितिन मोहिंद्रा की बहन जो भोपाल के कालेज में प्रोफेसर हैं, ने आज राजधानी भोजनालय बस स्टेण्ड वारासिवनी के मालिक प्रफुल जैन को फोन पर चर्चा करते हुये मृत्यु के पश्चात तीसरे दिन होने वाले कार्यक्रम के बारे में जानकारी हासिल की और उन्होने उनकी मृत्यु के संबंध में भोपाल समाचार डॉट कॉम में छपी खबर पर दुख व्यक्त किया।
प्रफुल जैन ने अवगत कराया की वे उनके लॉज में पिछले 10 वर्षों से नियमित भोजन किया करते थे। उनके दैनिक खर्च के लिये उनके परिजन उनके खाते में राशि भिजवाया करते थे जिससे उनकी आवश्यकता की पूर्ति होती थी। इसे बिडम्बना ही कहा जाये की सम्पन्न परिजनों के होते हुये जयकिशन महिन्द्रा को पिछले 20 वर्षों से एकाकी और गुमनामी जीवन व्यतीत करना पडा। आखिरी वक्त में उनके पास उनका कोई अपना भी नहीं था। जयकिशन जी लगभग 82 वर्ष के थे। इस उम्र में बहुत जरूरी होता है कि देखभाल के लिए कम से कम एक व्यक्ति तो हो परंतु जिसके बेटे बेटियां देश विदेश में सम्पन्न जीवन बिता रहे हैं, उसकी दर्दनाक मृत्यु ने सबको हिलाकर रख दिया।